भैया की बेटू   (Lavanya)
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♛┈⛧┈┈•༶ पापा की शेरनी ༶•┈┈⛧┈♛
Joined 29 December 2020


♛┈⛧┈┈•༶ पापा की शेरनी ༶•┈┈⛧┈♛
Joined 29 December 2020

तुम जब मेरी लिखावट पढ़ो तो,
शब्दों को नहीं भावनाओं को पढ़ना!

तुम पढ़ना मेरा प्यार नहीं,
मेरे इश्क़ को पढ़ना!

तुम पढ़ना ढेर सारी भाव लिये,
जिसको मैंने अपनी भावनाओ से,
पिरोया है सिर्फ़ तुम्हारे लिये!

तुम पढ़ना नयनों को मुंद करके,
इस रूहानी प्रेम को जिसको मैंने,
हृदय के हर खंड में सजोयाँ है!

तुम जब मेरी लिखावट पढ़ो तो,
शब्दों को नहीं भावनाओं को पढ़ना!

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याद आते हो हर रोज
फ़कत तुम्हें आवाज़ नहीं दे पाती

लिखती हूँ गज़लों में तुम्हें हर रोज
फ़कत उनमें तुम्हारा नाम नहीं लिख पाती

गुजरती हूंँ उन गलियों से तेरी सोहबत में
फ़कत तेरे साये में नजर नहीं आ पाती

करती हूंँ इश्क तुझसे आज भी
फ़कत अब वो इश्क तुझे जता नहीं पाती

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इत्तेफाक कहूं या किस्मत समझूँ, खुद से यह सवाल है
तेरा यूँ मेरी जिंदगी में आना कमाल है।

हसरत है एक दफ़ा दीदार करने की लेकिन,
बातों से ही प्रेम का रस उड़ेलना कमाल है।

हज़ारों ख़्वाहिशों के साथ नयनों को मुंदना, और...
फ़िर दिल - ए- आँखों उतर आना कमाल है।

चंद लम्हों में ना जाने कितने सवाल दिलों में पनपना,
उन सब को भुला मोहब्बत में पड़ना कमाल है।

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गर हो सके तुमसे...
गर हो सके तुमसे...

तो अब इतना ज़रूर करना...

मेरे जीवन में शम्मा जला...
अँधियारों को मिटाना...!!

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अच्छा लगता है

इश्क़ है ना मोहब्बत है, ना चाह है तुझे पाने की
फ़िर भी करीब रहे तु अच्छा लगता है।

ख़्वाब है ना हकीकत है, है दोनों में दरमियाँ
फ़िर भी तुम्हें सोचना अच्छा लगता है।

दूर हो ना करीब हो मेरे "ख़सम"
फ़िर भी तु हमदम हो अच्छा लगता है।

पराया है ना तु ना ही है अपना
जाने कौन है तु, क्या है....ये बावला मन मेरा....

अब जो कुछ भी है
फ़िर भी तेरे साथ अच्छा लगता है।

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देखा है लोग रिश्तों को बचाने के लिए
किसी भी हद तक गुज़र जाते है
महज़,
खेद तुमसे इतनी सी है की...तुमने एक कोशिश भी नहीं की...!!!!

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अनेको सवाल उठते थे मन मे
व्याकुल सी होती थी..
जब तुमसे दूर थी
और देखो आज
ख़ामोश सी मैं,
सागर के नीर सा
प्रवाह शांत मन मेरा...
ना सवाल ना शिकायत
शायद इसलिए की समीप हो तुम मेरे...!!!

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नाम तो तुम्हारा एहसास- ए-सुकून ही रहेगा....
चाहे मुझे तुम कितना भी बैचैन कर लो..!!!

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अधूरी किताब मोहब्बत की
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आख़िरी किताब है
आख़िरी मोहब्बत की

आख़िरी चाह है
आख़िरी दिन की

अंतिम हवा है तेरे एहसास का
आख़िरी पैमाना

यह अंतिम रात की
अंतिम गतिविधि है

इसके बाद सिर्फ रात है
आँसुओं से भीगी हुई, जर्ज़र, वजनदार आँखें!

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लब उस वक़्त भी मुश्कुराएँ,
जब तुमने दर्द बेसुमार दिया था

लगे वक़्त..लड़खड़ाये कदम संभलने में,
जब तुमने साथ छोडा़ था

ज़िंदगी में चाहत सिर्फ तुम्हारी थी,
लेकिन इन चाहतो का सिला तुमने बेवफ़ाई से दिया था

तन्हाइयों में रहने की अब तो आदत सी हो गयी है,
दर्द के बादल भी झूम कर बरसते है क्योंकि
आहिस्ता-आहिस्ता ये दर्द भी दवा बन गया..!!

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