तुम जब मेरी लिखावट पढ़ो तो,
शब्दों को नहीं भावनाओं को पढ़ना!
तुम पढ़ना मेरा प्यार नहीं,
मेरे इश्क़ को पढ़ना!
तुम पढ़ना ढेर सारी भाव लिये,
जिसको मैंने अपनी भावनाओ से,
पिरोया है सिर्फ़ तुम्हारे लिये!
तुम पढ़ना नयनों को मुंद करके,
इस रूहानी प्रेम को जिसको मैंने,
हृदय के हर खंड में सजोयाँ है!
तुम जब मेरी लिखावट पढ़ो तो,
शब्दों को नहीं भावनाओं को पढ़ना!
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