ये हम कुछ लोग हैं बाशिंदे हैं अंधेरों के
हमें रोशनी की आहट भी सरासर ख़ौफ देती है-
ना ही वो हिन्दू लिखेगा ,ना मुसलमान लिखेगा।
हमेशा एकता का गीत हर जवान लिखेगा।
धर्म,भाषा,मज़हब और मुल्क में तो हमने बांटा है
बहेगा खून सरहद पे तो हिन्दोस्तान लिखेगा।
✍️राधा_राठौर♂-
वर्तमान में जो
इतिहास को दोहरा दें |
जख्म़ी रू़ह को
जिस्म से दोबारा मिला दें |
जो हैं नहीं
उसे हकीकत बना दें |
हम वो शायऱ हैं ...
जो अपनी शायरी से
अपनी ही शायरी को अपना दीवाना बना दें |
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बचपन से अभी तक अगर कुछ नहीं बदला तो ये है की,
हम तब भी शून्य के पीछे दौड़ते थे और भी आज भी।-
रिश्ते-नाते सारे निभाने हैं आते
अपनों की भीड़ में
फ़िर भी हम अकेले हैं पाए जाते |
दुर-दुर तक नज़र आते हैं
जाने पहचाने अपने से साए ,
थक हार कर
हम फ़िर भी हैं मुस्कुराते |-
हम वफादारी निभाते रहें और कोई अपना दुनियादारी निभाता जिंदगी के मायने बदल गया।
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पूछते हैं वो कोई गम तो नहीं, हमनें भी कह दिया कोई गम नहीं है।
बदले हो तुम बदला है नजरिया, बदल गया मौसम पर हम वही हैं।
खुश रहो अपनीं दुनियाँ में, गर कुछ कसूर नहीं तुम्हारा नवनीत...
"अपनी जगह पर" तुम सही हो तो, अपनी जगह पर हम सही हैं।-