पहना लाल जोड़ा उसने,हाथ मे मेहंदी रचायी,
फिर सारे स्वाहा स्वाहा के बीच बड़े सलीके से
रूह का दाह संस्कार वो हवन कुंड में कर आयी!
-
इस प्रेम यज्ञ में प्रियतम
मैं अंतिम आहुति सी
भूली हुयी प्रवंचना
एक अनभिज्ञ प्रश्न
एक सम्पूर्ण उत्तर
बेकल जिज्ञासा
अस्तित्व मेरा
भाव भंगिमा
अंग प्रत्यंचा
मेरी वंचना
आलम्ब ,
विश्वास
जीवन
सरिता
में शिव
आभास
शव का
मुझ में
निवास
स्वाँस
प्यास
आस
समस्त
स्वाहा
स्वाहा
स्वाहा-
ज़िन्दगी की धुंध में
अपनों के झुंड में
रिश्ते कई स्वाहा हुए
घमंड के हवन कुंड में
-
देख अनीत नहीं उबली पूरी कुरु सभा ही अंधी थी
धर्मराज की बिछी विसात चौसर क्रीड़ा सैरन्ध्री थी
सर्वनाश आमंत्रण अपमान रजस्वला याज्ञसेनी थी
अट्टहास मुख कलुषित बोल उग्रतम उर मेदिनी थी-
मेरे मुर्दा से अतीत को
साहिब क्यों कब्र से हर शब उखाड़ते हो..????
एक ही बार मे जान ले लो ना,
क्यों इक पल में हज़ार मौत मारते हो..????-
बड़ा अरमान था उनको
हमारे आंसू देखने का
हमने हंसकर उनकी
ख्वाहिशें स्वाहा कर दी-
Yu mehfilo me koi mera charcha kre to darrr lgta h
Bahut jada daulat bhut shohrat se darr lgta h
Logo ko bardasht nhi kisi aur ki khushiya
Mujhe unki nazro se darrr lagta h
Inn sbme ulajh k nekiyo se door na ho jau
Kbhi qabar ka manzar yaad aa jaye to darr lgta h-