QUOTES ON #सृष्टि

#सृष्टि quotes

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7 SEP 2019 AT 3:15

तपती आँच में ख्वाहिशें नहीं जला करती,
सहज स्त्रियाँ यूँही जटिल नहीं दिखा करती,

बाँध लेती है आस की डोर से खुद को
बंद मुट्ठी से आसमान नहीं लिखा करती,

ढूंँढ लेती है रास्ता वो बिखरे से रिश्तों में
खिंचकर टूट जाए, ऐसा नहीं राब्ता रखती,

बिखर जाती है अक्सर ही काँच की तरह
'दीप' वो पत्थरों सा दिल नहीं रखा करती,

ईश्वर की ही नेमतें हैं ये आसमां-औ-जमी ं
सृष्टि स्त्री से बेहतरीन और नहीं रचा करती !

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बीत गए युग कितने देखो,मानव कितना बदल गया?
खेल आग से करता आया,पर क्या अब वो सँभल गया?

आज चाँद तक मानव पहुँचा,पर मानव मन वहीं खड़ा।
युद्ध बिना क्या चैन उसे है ?क्यों जिद्दीपन भरा पड़ा।

मौत सभी जीवों को आती,मानव पर बिन मौत मरे।
मानव मन से सकल जगत के,जीव रहे बस डरे डरे।

ये धरती है उस ईश्वर की,सब का इसमें है किस्सा।
मानव नित अपनी साजिश से,छीन रहा सबका हिस्सा।

सभ्य मनुज जितना होता है,उतना बर्बर बन जाता।
झूठी शान दिखावे में वो,इस धरती को तड़पाता।

अब भी मनुज नही चेता तो,अंत सुनिश्चित फल लिख लो।
काल समाहित होगी धरती,इस धरती का कल लिख लो।

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10 SEP 2020 AT 8:15

जिनके एक मुस्कान पटल में सोलह श्रृंगार सजती सँवरती उनके सूरत में क्या बात है
देख फलीभूत ये सृष्टि की हँसी फूलों सा हँसना मानो मिलती सबको जीने की नई आस है

वो हँस कर मोहे सबका मन सलोनी नज़रों की क्या बात है
मासूम सी भोली उनकी प्यारी मुस्कान जैसे चौदहवीं का वो चाँद है

श्रेयष्कर है जब उनका यूँही मुस्कुराना ग़र हँस दे तो क्या बात है
सभी दुःखों का हनन हो ऐसे जैसे सुखों का अबतो बिन बादल बरसात है

रूपवान रूपवती भी उनके काया से प्रेरित जानलो उनके भस्म की क्या बात है
सहस्त्र श्रृंगार एक तरफ़ और बिभूति में दमकता वो भोला बदन जैसे सामने बैठा पूरा संसार है

उनका हर शब्द गहन चिंतन करता मनमोहक प्यारे भोले की पूरी बात में के क्या बात है
उनके हर दिव्य बातों में छिपा सृष्टि का सार जैसे हर शब्द में बसा अमर जीवन का वरदान है

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26 AUG 2020 AT 3:36

ॐ नमः शिवाय
श्री हैं वो सृष्टि हैं वो
दिल की हर धड़कन में हैं वो
डमरू की धुन से खुश होते हैं वो
शक्ति बिन अधूरे महागौरीशंकर हैं वो
नागराज वासुकि के स्नेह धारक हैं वो
अर्द्धनारीश्वर तो कभी आदिशक्ति हैं वो
त्रिशूल उनका डण्डा नन्दी के आराध्य हैं वो
यूँ तो पर्वतों पर डेरा कैलाश में विराजते हैं वो
दया के सागर सर पर चाँद टिकाए रखते हैं वो
महादेव के आराध्य विष्णु तो वासुदेव के पूजनीय हैं वो
अति प्रेम गणेश कार्तिकेय से पर शक्ति के सबसे प्रिय हैं वो
आँखोँ में प्रेम मुख पर मुस्कान लिए सबका मन मोहते हैं वो
सृजन त्रिदेवों ने किया किंतु साक्षात स्वरूप हैं शनि देव के वो
जो ना दिखे वही हैं वो जो आँखों में बसे वही हैं वो
त्रिलोकीनाथ हैं वो भगवान विष्णु के आराध्य हैं वो
रुद्राक्ष उनका स्वरूप है समय चक्र की सीमा में हैं वो
12 ज्योतिर्लिंगों में बसेरा है उनका 51 शक्तिपीठों में बसे हैं वो
दिल से भोले मन मोहने वाले मेरे दिल में बसे सबसे सुंदर मेरे महादेव हैं वो

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3 JUL 2020 AT 18:22

मै,"सृष्टि" कलम से करता हूँ।
मै,अपनी 'कृति' का 'ब्रह्मा' हूँ ।।

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21 JAN 2019 AT 6:22

नितांत खालीपन
विस्फोटक स्थिती
जन्मी सृष्टि

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22 APR 2020 AT 20:00

धरती माँ ने पावन प्रकृति से सृष्टि को सींचा
लोभ, ललक ने हमारी इसे धर दबोचा
सीने से लगाकर, प्रकृति की पालकी में बिठाकर
सुंदर संसार बनाया, और हमने घाव कर इसे नोचा
अब और दोहन ज्वाला दहकाएगी
फिर हमारी ललक भी कहाँ जी पाएगी

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23 APR 2021 AT 18:06

"प्रकृति "
प्रकृति के प्रत्येक रूप में कुछ न कुछ अद्भुत है ,
प्रकृति एक अलग ही खेल रचती है,
यह खुद में ही कल्पना से परिपूर्ण है
अखिल ब्रह्माण्ड में ऐसी कई चीजें व घटनाएँ होती हैं ,
जो हमारे समझ के परे है ,
हम तो इसी भ्रम में जीते हैं कि...हम 'सर्वज्ञ' हैं,,
और हम यह भूल जाते हैं कि
हम इस विशाल ब्रह्माण्ड का
सृष्टि द्वारा रचित
प्रकृति का केवल एक कण मात्र हैं ,
एक छोटा सा अंश हैं,
हम जैसे सूक्ष्म प्राणियों में इतना सामर्थ्य नहीं की
सृष्टि रचयिता की सोच
उसकी अद्भुत रचना को समझ पाएँ
अपने कुछ शब्दों द्वारा.....
उसका पूर्ण व्याख्यान कर पाएँ।।

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6 MAY 2020 AT 20:04

मेरे, तुम्हारे बीच की दीवार
कुछ ऐसी ही है जैसे
धरती, आकाश के बीच होती है,
बादलों की दीवार।

दोनों को अपनी ओर से
कुछ धुंधला दिखाई देता है,
मगर ये दीवार जरूरी है,
सृष्टि के कल्याण के लिए।

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18 APR 2018 AT 7:55

मिली जो दृष्टि
होने लगी वृष्टि
अद्भुत ये सृष्टि

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