दीपक बनो जलो टिमटिमाओ
झोंके चलेगें कभी तेज धीमे
सब्र से काम लो जरा मुस्कुराओ
उजाले से जग को भरते जाओ
कभी जेठ अगहन,हेमंत होगा
फागुन कभी,कभी ऋतुराज होगा
मौसम की फितरत यही है हमेशा
तुम सूर्य बन के चमक के दिखा
रजनी और ऊषा दोनों ही शाश्वत
एक आये तो दूजी चली जाये
जीवन इन्ही का ही संगम कहायें
चलो दीप बन के हम टिमटिमाये-
माटी में मिल जाऊँगा
बस इतनी सी कहानी है
इतना ही फसाना है
इतना ही जाना है
इतना ही बताना... read more
दीपक बनो जलो टिमटिमाओ
झोंके चलेगें कभी तेज धीमे
सब्र से काम लो जरा मुस्कुराओ
उजाले से जग को भरते जाओ
कभी जेठ अगहन,हेमंत होगा
फागुन कभी,कभी ऋतुराज होगा
मौसम की फितरत यही है हमेशा
तुम सूर्य बन के चमक के दिखाओ
रजनी और ऊषा दोनों ही शाश्वत
एक आये तो दूजी चली जाये
जीवन इन्ही का ही संगम कहायें
चलो दीप बन के हम टिमटिमाये-
पा कर तुम्हे जाना है तू ही मेरा ठिकाना है
मैं लहर कोई अल्हड़ तू मेरा किनारा है-
मेरी आशा कुञ्ज बिहारी
खुशियां सारी कुञ्ज बिहारी
कुञ्ज बिहारी कुञ्ज बिहारी
मैं बलिहारी कुञ्ज बिहारी
अनुशीर्षक ⚜️-
मन मधुकर पद कमल तुम्हारे
इन्हें छोड़ कित जाएँ
तन माटी ईक दिन झड़ जाएँ
माधव को ही पाएं
अनुशीर्षक-
लाज रस्म क्यों आये
प्रीति की रस्म निभाए
मैं रंभा तू वैदिक ऋषि
खजुराहो नया बनाये
हर मुद्रा वो अपनाये
जो वात्सायन ऋषि बताये
अभिषेक प्रेम करके
सिंहासन पर बैठाए
जग भूल गया शाकुन्तल
कालिदास बन गाये
श्रृंगार की हर युक्ति को
चलो प्रयोग में लाएं
मैं लहर तू मेरा सागर
तेरी छुवन से मैं बल खाऊ
हर ओर ही तुमको पाऊँ
हर अंग तुम्हे मिल जाऊँ
मैं धरती तू मेरा बादल
मेरा प्रेम ही तो सावन है
तेरी छुवन से मैं जल जाऊँ
तेरी बूंद बूंद भर जाऊँ-
एक बार अगर लिख जाये
विधि खुद भी मिटा नही पाए
माना कि विधि की कृति है
हर नियति उसी की लिखी है
किससे करे यारो, शिकायत
विधि की भीबड़ी मुहलगी है
विधि भी खुद इससे हारे है
राधा से कहा मिल पाये
एक बार अगर लिख जाएँ
खुद ही विधि बन जाये
जो बदली कभी न जाये
नियति वही कहलाये
अनुशीर्षक में ❇️-
असर तुम्हारा ऐसा बारिश बदन जलाये
दूर रहो न मुझसे चलो दोनों जल जाये-
हर लम्हा मेरे नाम का तुम्हारा हुवा है
तुम चाहो न चाहो मगर ये हुवा है
बंजर था अब तक ये दिल हमारा
तुम्हारे तबस्सुम से गुल बन गया है
अंजाम की हम कहो काहे सोंचे
आगाज़ में क्या मजा आ रहा है
पहले सी राते बोलो अब कहाँ है
मेरा चाँद, मेरे छत आ गया है-
बातें बहुत लब कह ही न पाएं
झिझके ठिठके चुप हो जाएं
नजरों का हम क्या ही बताएं
अंग अंग से तेरे मिल आएं
अंग अंग चूमे बिना जताएँ
माथे का चुम्बन ले आएं
नजरों की गुस्ताख़ीया ऐसी
क्या ही बताएं दिल ले जाएं-