राम मिले कृष्ण मिले
भारत की भूमि से
मर्यादा और प्रेम का
संदेश दिया विश्व को
गौतम तीर्थंकर मिले
भारत की भूमि से
बदले में क्या दिया
विश्व ने इस देश को
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माटी में मिल जाऊँगा
बस इतनी सी कहानी है
इतना ही फसाना है
इतना ही जाना है
इतना ही बताना... read more
बुद्ध तब नहीं रोये
जब बामियान में तोपो से
मूर्तियों को उड़ाया गया
बुद्ध तो हृदय में है
जहाँ करुणा है वहाँ बुद्ध है
बुद्ध तो हर हृदय में
बुद्ध तो मंद मंद बहती पवन है
बुद्ध तब रोये जब
कलमा न पढ़ पाने की वजह से
निर्दोषो को मार दिया गया
काफ़िर होने की सजा दी गयी
बुद्ध हम सबसे नाराज है
कहते है मैंने आत्मरक्षा के लिये
कब मना किया था
तुम भूल गये घायल हँस को
जिसके लिये मैं लड़ा था
अड़ा था तभी तो मैं बुद्ध था
सुरक्षित रहो संगठित रहो
बुद्ध को समाधि में लीन होने दो-
हर हर महादेव का तुमुल नाद हो
काली महाकाली भवानी आह्वाहन हो
सर पे नाचे भैरव मृत्यु उल्लास हो
मातृभूमि पे मस्तक बलिदान हो
वैरी के भाल त्रिशूल का नोक हो
सुधरे न सठ रक्त से भुमि लाल हो
हर हर महादेव का तुमुल नाद हो
हर नर भैरव महाकाली हर नार हो
खंड खंड आतंक आतंक का सरदार हो
शत्रु के रुधिर से युद्धभूमि लाल हो
तिरंगा लहराये जग में स्वाभिमान से
आतंकी नरपशु का कब्र में स्थान हो
ॐ पार्वती पतये नमः हर हर महादेव-
सिंहो को जन्मा है माँ भारती ने
हारे नहीं वो जब लड़ने पे आये
मर्यादा करुणा अलंकार उनका
वसुधा को ही वो कुटुंब कहता
मगर कुछ दरिंदों को रास न आये
बर्बर नराधम समझ न पाएं
खुद तो मानव अभी बन न पाएं
निर्दोष जन का जो रक्त बहाएं
जागो जियालो ललकार दो फिर
सर को जुदा कर दो पापियों का
नारा लगाओ जय जय भवानी
भैरव बने नर भवानी हो नारी
रक्तबीज बढ़े उठाओ कटारी
रक्त मांगती अब भारती भवानी-
विनय विनम्रता धर्म न माने
कपटी कपट से सज्जन मारे
तजो दया करुणा वरुणा को
मर्यादा का मान बढ़ाओ
कोप करो अब रोष करो अब
राम रण घनघोर करो अब
आन बान का धनुष उठाओ
प्रत्यंचा पर बाण चढ़ाओ
धर्म देखता है आशा से
मानवता अंतिम आशा से
हरो प्राण अब दुष्टो के
राम तनिक अब देर न लाओ
राम नाभि पे बाण चलाओ
मानवता का बिगुल बजाओ
भूल गये यदि हम यह गाथा
राम हमें फिर याद दिलाओ-
ख़ुशी तुम्हारी तुम्हे मुबारक़
हमारी आँखों में अब लहूँ है
याद है अब भी चीख उनकी
धरम के कारण जान गवाई
बिलखते बच्चे रोती बेवाये
बुढ़ापे की लाठी कहाँ से लाएं
ख़ुशी तुम्हारी तुम्हें मुबारक
हमारी मुठ्ठियां भिंची हुवीं है
क्या दोष था क्या गुनाह किया
ख़ुदा बता ये कैसे तेरे बंदे
इब्लिश से अब तू रोज हारे
मुसलमा इब्लिश से मिले हुवे है
अगर ख़ुदाई है तुझमें बाक़ी
तो आख़िरी ये जख़्म ही कह दे
नहीं तो अब सोया भैरव जागेगा
प्रलय का तांडव शुरू करेगा-
कैसे रिझाये कान्हा कैसे लुभाये
तेरे दिवाने कान्हा,कैसे बताएं
तेरा असर कान्हा ऐसा हुवा है
जाएं कही भी तुमको ही पाएं
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तन मन जीवन सब तेरा है
तू ही सच्चा धन मेरा
क्या मांगे तुमसे बाबा हम
तू ही सर्वस्व हमारा है
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धन भी पाया यश भी पाया
तन का तन से घर्षण पाया
सब क्षण भंगुर दिवास्वप्न सा
आंख खुली तो कुछ न पाया
रीता - रीता था अंतर्मन
शिव को पाया तो सब पाया
चिन्मय शाश्वत अखिल निरंजन
शिव को पाया तो सब पाया-