भटक कर हर सफ़र से मैं
आया हूँ तेरे दर बाबा
ठुकराना न मुझे अब तुम
तुम्हारा ही सहारा है
तुम्हारा तो नाम भोलें है
दयासागर भी कहते है
कृपा कर के शरण दीजे
नहीं कोई सहारा है
अनुशीर्षक 🌿-
माटी में मिल जाऊँगा
बस इतनी सी कहानी है
इतना ही फसाना है
इतना ही जाना है
इतना ही बताना... read more
हर शाम मुझको
तुम सी ही लगती
थक रहे मन को
विश्राम देती
आँचल में लेकर
मेरा ताप हरती-
सावन की शीतल पवन गुनगुनाये
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
शिवमय हुवीं सब दिशाएँ भी गाये
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
अवनि अनल और आकाश तारे
सूरज नदी तरु पादप भी सारे
शिवमास सावन में मगन होके गाये
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
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नियति हमारी क्या लिख रखी
अजर अमर अविनाशी ने
भाग्यविधाता शंकर जाने
हमको कुछ भी पता नही
नीयत के हम अपने स्वामी
नीयत कहती शिव ही स्वामी
जीवन दाता भाग्य विधाता
शिव ही मेरा स्वामी है
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दुनिया बड़ी लागे सस्ती सी
जब शिव मस्ती मन चढ़ती है
धूर लगे बंगला गाड़ी
जब भाल भभूती लगती वें
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मील का पत्थर मत देखो
खुद शिला लेख बना जाना तुम
अपने पौरुष और कौशल से
खुद यश अपना फैलाना तुम
तुममे ही है शिव की समाधि
माधव का गीता ज्ञान भरा
तुम राम की प्रबल प्रतिज्ञा हो
तुम सा जग में क्या कोई होगा
तुम धीर वीर अमृतधारी
संकट तुमको क्या रोकेगा
तुम ऋषियों की संतति हो
यशगान तुम्हारा ही होगा-
शिव भक्त बड़े अलबेले है
शिव शंकर के चेले है
कोई बाधा इनको रोके क्या
ये महाकाल के चेले है
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रक्त का रंग तो एक होता मगर
इंसानो ने उसको चितकबरा किया
कोई हरा कहे कोई भगवा कहे
कोई नीला कोई पीला उज्जर कहे
हर किताबो में यूँ तो बहुत बात है
उनमे लिखी सच यही बात है
एक पूर्वज की ही हम संतान है
कोई मनु कहे कोई आदम कहे
फिर भी लड़ते है इंसान बे बात के
साथ मरती इंसानियत उनके साथ
सबको संख्या बढ़ाने की जल्दी बहुत
वसुधा है कुटुंब कोई सुनता नही-