बिना अच्छी सीरत के, सूरत भी कुछ नहीं,
जरा संभलना, ओ! चेहरों पर मरने वालों ।-
तन गोरा क्यों मन को भाये ,
भाये न मन को तन का प्रेम !
सूरत देखी क्यों जग मोहायें , मोहें न दिल को सूरत का प्रेम !!-
सूरत से जो पसन्द आ जाएं वो पसन्द क्या चीज़ है,
ऐसा इश्क़ भी क्या इश्क़ जो उसके बातो से ही हो जाएं,
इश्क़ अगर फरमाना भी है तो उसके दिल से फ़रमाये,
सूरत में क्या रखा है आज है कल नहीं।-
वो कहते हैं अब सूरत अच्छी नहीं रही हमारी,
कहीं हमें छोड़ तो नहीं जाओगे
हमने भी कह दिया, मोहब्बत हमने तेरी
सीरत से की है सूरत से नहीं
ये दिल तो तेरे दिल को देखता है चेहरे को नहीं
मरते हैं तेरी बातों पर, तेरे हुसन पर नहीं-
तन गोरा और मन काला
सबको तुरंत ही भा जाये
मन गोरा और तन काला
क्यों क्यों मन को न भाये
लेकिन सच्चा साथी हो वो
जो प्यार करे मन वाला
फर्क नही पड़ता दोस्त
चाहे गोरा हो या काला-
हम खुद को ही, यूँ तबाह क्यों करें,
हम हैं ज़रा, तो फ़िर हिसाब क्यों करें,
लोग तो सीरत में भी नुक्स निकालते हैं,
फ़िर हम अपनी सूरत पर हिज़ाब क्यों करें।।-
र - रच दो अपनी सीरत ऐसी
जन्नत भी फ़ीकी लगे, कदमों में तेरे
च - चंद्रमा सी सूरत भी हो फ़ीकी
आपके नूर के सामने हर इक दिन
ना - नाज़ हो आप पर, आपके अपनों को
अपनों को ही नहीं....
समाज के हर तबके को-
हर्फ-दर-हर्फ
नज़्म सी इक सीरत
अल्फाजों में घुलती ही गई,
मुसलसल सी है
इक सूरत जो जहन से
कभी निकलती ही नहीं :-)-
सूरत पर नही, सीरत पर मरते हैं सभी,
ये YourQuote है अरज,
यहाँ इस कदर ही इश्क करते हैं सभी।-