PriThA SiNgH RajPuT   (ऋचा SiNgH "SoMvAnShi")
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16 June 🎂
Joined 16 September 2018


16 June 🎂
Joined 16 September 2018
16 MAY 2022 AT 1:39

पीड़ा में पड़ा हुआ मन,
सूखा हुआ शरीर,
रूखी हुई त्वचा,
होठों पर बेमन वाली हँसी,
अधमरी सी होती सिसकियां,
एकांत से भरा ये मस्तिष्क,
सब अपनी जगह ठीक है,
या
यूँ कहूँ सब कुछ ठीक है,
हाँ! मैं ठीक हूँ...।।

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6 MAY 2022 AT 14:52

ना कोई दोस्त है, ना इश्क़ है,
ना मुकद्दर बदल रहा है,
बेरोजगारी की धूप, उम्मीद का छाता,
और बस वक्त चल रहा है,
चलो सुकून है, हलक सूख नहीं रहा,
चवन्नियों के प्यास से,
मगर ये हौसला ही है एक,
जो रोज़ थोड़ा-थोड़ा मर रहा है..!!

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5 MAY 2022 AT 22:31

मंज़िल की तलाश में यूँ चलते-चलते थक गया एक 'सफ़र',
शायद इसलिए भी मरने से पहले, मर गया एक 'सफ़र'..!!

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27 APR 2022 AT 23:43

'शायद' और 'काश' मेंं ही कहीं गुम हूँ मैं,
तेरी 'आदत' हूँ या 'इश्क़' इसी मझधार मेंं कहीं गुम हूँ मैं..!!

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8 MAR 2022 AT 10:27

एक दिन में कैसे समेटोगे, स्त्री के हर आयाम को,
हर कहानी में पूरा किया है, राधा ने ही श्याम को..!!

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5 FEB 2022 AT 18:43

हम खो से गए हैं, इस जमाने के शामियाने में,
कोई छोड़ दे हमें, हमारे इश्क़ के मयखाने में...!!

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5 FEB 2022 AT 10:36

माँ शारदे है तुम्हें नमन, ये दिवस आज का मन-भावन,
सूक्ष्म से लेकर कण-कण में माता, हर जन का है वंदन।

काल बदला, नीति बदली, बदली धरा की रीत,
विद्या की जगह कोई ले ना सका माँ, इतनी तुमसे प्रीत।

ऋतु आज बसंती आया है, मन हर्षित हो आया है,
सूर्य लालिमा ठंड छाटती, दुर्भाव सहज मुरझाया है।

सुरमई नभ के नीचे, लहराई अविरल फूलों की क्यारी,
स्वर्ण सौभाग्य लिए सरसों, बनी खेत की फ़ुलवारी।

हम पौधे माँ तेरी बगिया के, विद्या की प्यास लिए,
आशीष दो, समाज कल्याण का, अटल विश्वास लिए।

अक्षर ज्ञान सब तेरी कृपा माँ, सदैव रखियो लाज,
आँचल से ढक, विनय व विद्या की आशीष दीजो आज।।

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16 JAN 2022 AT 13:34

वो जो दूर है मुझसे, पर एहसासों में आज पास आया,
सिर्फ़ वही एक शख़्स है, जो इतने सालों में रास आया..!!

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15 JAN 2022 AT 14:10

जब सब चले जायेंगे,
मैं तब भी रुकूंगी तुम्हारे लिए,
देखो,
यूँ बाकियों से मेरी बराबरी ना किया करो।।

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12 JAN 2022 AT 1:29

जानती हूँ दु:ख हजारों हैं ज़िंदगी में सबकी,
मैं कोशिश करूँगी तुम्हारा सुकून बनूँ।

शिकायत भी हज़ारों करते होंगे लोग,
मैं हमेशा कोशिश करूँगी तुम्हें समझ सकूँ।

सवाल उठाने वाले भी बहुत होंगे तुम पर,
मैं कोशिश करूँगी हमेशा तुम पर अटूट विश्वास रखूँ।

बांधनें के लिए कई मिल जाएंगे,
मैं कोशिश करूँगी हर बंधन से तुम्हे आज़ाद रखूँ।

दिल दुखाने का चलन है ज़माने में,
मैं कोशिश करूँगी हमेशा तुम्हारे दिल का हाल समझ सकूँ।

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