माँ शारदे है तुम्हें नमन, ये दिवस आज का मन-भावन,
सूक्ष्म से लेकर कण-कण में माता, हर जन का है वंदन।
काल बदला, नीति बदली, बदली धरा की रीत,
विद्या की जगह कोई ले ना सका माँ, इतनी तुमसे प्रीत।
ऋतु आज बसंती आया है, मन हर्षित हो आया है,
सूर्य लालिमा ठंड छाटती, दुर्भाव सहज मुरझाया है।
सुरमई नभ के नीचे, लहराई अविरल फूलों की क्यारी,
स्वर्ण सौभाग्य लिए सरसों, बनी खेत की फ़ुलवारी।
हम पौधे माँ तेरी बगिया के, विद्या की प्यास लिए,
आशीष दो, समाज कल्याण का, अटल विश्वास लिए।
अक्षर ज्ञान सब तेरी कृपा माँ, सदैव रखियो लाज,
आँचल से ढक, विनय व विद्या की आशीष दीजो आज।।
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