पीड़ा में पड़ा हुआ मन,
सूखा हुआ शरीर,
रूखी हुई त्वचा,
होठों पर बेमन वाली हँसी,
अधमरी सी होती सिसकियां,
एकांत से भरा ये मस्तिष्क,
सब अपनी जगह ठीक है,
या
यूँ कहूँ सब कुछ ठीक है,
हाँ! मैं ठीक हूँ...।।-
ना कोई दोस्त है, ना इश्क़ है,
ना मुकद्दर बदल रहा है,
बेरोजगारी की धूप, उम्मीद का छाता,
और बस वक्त चल रहा है,
चलो सुकून है, हलक सूख नहीं रहा,
चवन्नियों के प्यास से,
मगर ये हौसला ही है एक,
जो रोज़ थोड़ा-थोड़ा मर रहा है..!!-
मंज़िल की तलाश में यूँ चलते-चलते थक गया एक 'सफ़र',
शायद इसलिए भी मरने से पहले, मर गया एक 'सफ़र'..!!-
'शायद' और 'काश' मेंं ही कहीं गुम हूँ मैं,
तेरी 'आदत' हूँ या 'इश्क़' इसी मझधार मेंं कहीं गुम हूँ मैं..!!-
एक दिन में कैसे समेटोगे, स्त्री के हर आयाम को,
हर कहानी में पूरा किया है, राधा ने ही श्याम को..!!-
हम खो से गए हैं, इस जमाने के शामियाने में,
कोई छोड़ दे हमें, हमारे इश्क़ के मयखाने में...!!-
माँ शारदे है तुम्हें नमन, ये दिवस आज का मन-भावन,
सूक्ष्म से लेकर कण-कण में माता, हर जन का है वंदन।
काल बदला, नीति बदली, बदली धरा की रीत,
विद्या की जगह कोई ले ना सका माँ, इतनी तुमसे प्रीत।
ऋतु आज बसंती आया है, मन हर्षित हो आया है,
सूर्य लालिमा ठंड छाटती, दुर्भाव सहज मुरझाया है।
सुरमई नभ के नीचे, लहराई अविरल फूलों की क्यारी,
स्वर्ण सौभाग्य लिए सरसों, बनी खेत की फ़ुलवारी।
हम पौधे माँ तेरी बगिया के, विद्या की प्यास लिए,
आशीष दो, समाज कल्याण का, अटल विश्वास लिए।
अक्षर ज्ञान सब तेरी कृपा माँ, सदैव रखियो लाज,
आँचल से ढक, विनय व विद्या की आशीष दीजो आज।।-
बड़े फ़ख़्र से, उसके हलक से, हो गुज़रा वो तिल,
बेबाक बड़ा, मेरे दिल का इकलौता रकीब़ हो निकला वो तिल।।-
जन्मदिवस की बहुत बधाई भाई,
जीवन का सुरभित पुष्प खिले,
जिसको चाहो वही मिले,
उत्कर्ष कामना करती हूँ,
ऋत, बसंत सम खुशियाँ पाओ,
मिटे तिमिर घन सम काला,
यश, वैभव, सुख, समृद्धि दे,
आपको बंसी वाला।-
वो जो दूर है मुझसे, पर एहसासों में आज पास आया,
सिर्फ़ वही एक शख़्स है, जो इतने सालों में रास आया..!!-