बरसों से हो रहे अत्याचार पर सब ख़ामोश थे,
कुछ मर्द की रुसवाई क्या हुई इस दुनिया से,
बेजान परिंदे भी बोल पड़ें।-
बस इतना समझलो टुटा हुआ दिल है,
बस काँच समेटना रह गया है
मेरा दिल वो आईना है,
जिसमें झलकती उसकी अक्स है,
मैं लाख छुपाऊं,
मेरा दिल जनता है सब उसमें क्या है,
मेरा दिल कोरा कागज़ है,
जो बयां करती मेरा हाल-ए-दिल है,
मैं कितना ही इंकार करूं,
तुझसे नफ़रत बहुत है,
पर मेरा दिल जनता है,
इसमें प्यार तुम्हारे लिए कितना है।
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दर्द-ए-दिल का हाल,
क्या बयां करें आपको,
कांच की तरह बिखरा हुआ सा है,
संभालने के लिए कोई पास नहीं,
महफ़िल में समा जैसे जलते है,
बस राख पड़ी है ज़मीन पर,
दिल के बहुत क़रीब लाकर,
उस दिल पर ज़ख्म बहुत गहरे दिए,
मोहब्बत में कुछ ऐसे हुए बर्बाद,
अब दर्द को भी दर्द नहीं होता।
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उसकी मीठी धुन,
कानों में मिश्री को तरह घुल जाती है,
उसके प्यार के बोल,
दिल को छू जाती है,
वो तड़प प्यार का,
उससे दूर रहा नहीं जाता,
उससे मिलने की चाहत,
मुझे अब रहने नहीं देता,
बेगानी सी हूं गई हूं मैं,
इश्क़ मोहब्बत में पागल बन बैठी हूं।-
शुक्र है हमें,
ऐसी मोहब्बत से अंजान है,
मोहब्बत में खाए धोखे,
उसके फ़रेब से अंजान है,
मतलब कि दुनिया से दूर,
ख़ुद को महफूज़ किया है,
मोहब्बत की झूठी शान से,
ख़ुद को अलग किया है,
फ़रेबी,मतलबी,धोखेबाज दुनिया से,
हम अकेले ही अपनी दुनिया में मशरूफ़ है,
न किसी की धोखे की मार,
न किसी से उम्मीद की दुनिया,
अपनी मर्ज़ी, अपने उसूल,
न मोहब्बत, न ही तकरार।-
हक़ीक़त दुनिया से रूबरू हुए है हम,
तेरे बिना मेरी जिंदगी अधूरी है,
ये कहकर....उसकी जान लेने में,
हाथ नहीं कांपे है लोगों के।
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मोहब्बत से मोहब्बत को,
ऐतबार नहीं,
हम बेवकूफ़ थे,
जो मोहब्बत को भी,
मोहब्बत कर बैठे,
दिल टूटे अरमान टूटे,
टूटे दिल के किस्से टूटे,
टूटकर भी चाह लिए,
टूटे सपनों का मंजर भी देख लिए,
समा जल गया परवाना मेरा,
उस राख में अरमान जल गए,
मोहब्बत पर अब ऐतबार नहीं,
जिसे खुद जलना आ गया,
वो मोहब्बत में जलकर,
खुद को क्यों बर्बाद करे।-