कभी आशु छुपाना पड़ता है,
तो कभी दुःख पर भी मुस्कुराना पड़ता है,
लाख दर्द हो फिर भी हँसकर,
लोगों को दिखाना पड़ता है,
कभी दर्द आंखों से ना छलक जाए,
इसलिए चेहरे पर मेकअप भी ज्यादा लगाना पड़ता है,
अकेलेपन का दर्द,
घुट घूट का खुद को ही सहना पड़ता है,
झूठी मुस्कान लिए होठों पर,
सबको अपनी ख़ुशी का इज़हार करना पड़ता है।-
बस इतना समझलो टुटा हुआ दिल है,
बस काँच समेटना रह गया है
चलो लौट चलते है...🚶
पुराने दिनों की ओर...💃
ये 21वीं सदी का कलयुग का जमाना है....❤️🔥
रिश्ते भी मतलब देखकर बनाए और निभाए जाते है।-
चाहत की हदें...
कुछ इस तरह से पार हो जाए,
मोहब्बत में कोई दीवार ही न रहें।-
आज़ाद देश में,
किस बात की आज़ादी,
यहां सच बोलने पर,
चुप कराया जाता है,
गलत के खिलाफ़ विरोध करो तो,
जेल में डाला जाता है,
बच्चों पर अत्याचार,
महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार,
शिक्षक के साथ बर्बरता,
जलता मणिपुर,
गिरती छत स्कूलों से
ये कैसी आज़ाद देश है,
जहां लोकतंत्र की हत्या कर,
वो अपनी झूठी शान समझते,
भारत देश का झुकता झंडा,
फिर भी गर्व से खुदको विश्वगुरु कहलाते।
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आजाद देश में,
अनपढ़ों और लुटेरों की सरकार में,
बज रहे छात्रों की पीठ पर लाठी,
वो सरकारी थी।
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ये कैसी रीत चली है इस देश में,
अनपढ़ों की सरकार में,
पढ़े लिखे लाचार दिख रहे,
जो कल के भविष्य थे,
आज लाठी बज रही उनके पीठ पर,
जो लड़े सच्चाई के लिए,
वो अपनी धौंस जमाकर,
मुंह बंद कर दिए उनके,
फिर भी किसी ने नहीं सुनी उनकी तो,
जेल भेज दिए डर कर उनको,
आज सड़क पर उतर आए शिक्षक भी,
अपने बच्चों के भविष्य के खातिर,
गूंगी बेहरी सरकार ने,
अपना दिए सारे हथकंडे अपने,
उनको चुप कराने को,
गूंगे बेहरे भी चीख पड़े,
अपने हक़ अधिकार के लिए,
ये तानाशाह सरकार में,
खामोशी से बैठकर तमाशा देख रहे,
ये देश को बेचने वाले ठेकदारों ने।
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ना कोई पास हैं न कोई साथ हैं,
दिल का दर्द जिससे बांट सकूं,
ऐसा कोई हमदर्द नहीं हैं,
इस दिल में राज बहुत हैं,
जिसे सब बता सकूं,
ऐसा कोई हमराज साथ नहीं हैं,
पूछें कोई मेरा हाल-ए-मिजाज़,
ऐसा कोई हमसफ़र साथ नहीं हैं।-
इस कलयुग में रिश्ते को शर्मशार होते देखा है,
मां बेटे के रिश्ते को तार तार होते देखा है,
हिंदुस्तान की पावन धरती में,
जिस्म का नंगा नाच देखा है,
मंत्रियों को अपने ही घर में,
कोठे खोलते देखा है,
नेताओं को सड़कों पर,
हनीमून मनाते देखा है,
पत्नियों को अपने पति की हत्या रचते देखा है,
कुछ तो इतने बेशर्म,
अपनी ही देश के लोगों के,
घर को उजाड़ते देखा है,
संस्कृति रीति रिवाजों से जानने वाला देश में,
लड़कियों को भरी बाज़ार में कपड़े उतारते देखा है।-