QUOTES ON #सुरभि

#सुरभि quotes

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1 DEC 2020 AT 19:01

थको ,
नहीं जो तुम सुनकर,

सारी रात
सुनाती जाऊं!
तुम्हें रिझाने

को पवन चुरा कर,
गीत सुरभि के गाती जाऊं!

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9 DEC 2021 AT 12:30

न जाने ऐसी सुरभि किस सुमन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है

क्या अगर से आती है, या चंदन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है

बुझती है जब प्यास, या जलन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है

विष है या अमृत है, देह मंथन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है

सावन सी प्यासी है जो, उस यौवन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है

कस्तूरी का संधान करे जो, उस हिरन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है

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19 SEP 2021 AT 22:18

साजन है आने वाले
पुष्प करो श्रृंगार तुम मेरा
पवन तुम मादक सुरभि से भर दो
रवि अवयव को लालिमायुक्त कर दो
चाँद भाल पर चमको सदा मेरे
सितारों तुम परिधान युक्त कर दो
ना छोड़ना जरा भी कसर कोई
आये अबकी,
तो लौट ना पाये साजन

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15 MAY 2020 AT 22:06






























Hi

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21 MAY 2024 AT 6:07

तुम्हारे शब्दों को सिरहाने रख कर सोता हूँ,
सुरभित हो जाते हैं सपने मेरे

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26 AUG 2020 AT 12:44

मेरे घर के पास एक
छोटी सी चंचल है,
मन भी उसका चंचल है,
नाम भी उसका चंचल है!
बाते कर चंचल से
मन भी हो जाता है चंचल,
हंस देती वो मासूमियत से,
वातावरण भी हो जाता है चंचल।

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17 MAR 2020 AT 16:46

कृष्ण!
अन्तस् में बह रहे
तुम पुष्प सम।

सुरभित हो रही
अब मुझमें
तुम्हारी हीं सुरभि।

और मैं......
उस सत्व से हो
अभिसिंचित......

शनैः शनैः
खो रही स्वयं को।

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21 APR 2020 AT 15:47




आओ नदिया के उस पार चलें
वहाँ कल कल जलधारा बहती है
ठंडी हवाएँ मन को  मोहती हैं
फूलों की सुरभि मदहोश करती है
सन सन  फिजाएँ बहकाती हैं
जहाँ पर्वत से सुरम्य झरने बहते हैं
बरगद के पेड़ की छाँव में चलें
वहाँ हम दोनों प्रेम से झूला झूलें
एक दूसरे के गिले शिकवे सब भूलें


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19 FEB 2022 AT 23:06

सुरभि






— % &

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25 APR 2020 AT 6:58




हर रोज़ सुबह की धूप
खिड़की के झरोखों से
छनकर मुझ तक आती है
फूलों और पत्तों पर
चमक अपनी लुटाती है
मलयानिल के झोंके भी
सुरभि, मकरन्द लाते हैं
उनकी महक जादू जगाती है
हवा में जब तुम्हारी जुल्फ़
यूँ ही लहराती है
लगता है कोई बदली
घुमड़कर छा जाती है
साँसों में इक सिहरन
 दौड़ जाती है
धड़कन मेरी थम जाती है

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