उच्चत सोपान
ज़िंदगी का सफ़र है एक खोज़,
सीमाओं और बंधनों से ऊपर उठ,
उच्चतम सोपान तक पहुँचने का,
जानने का - कौन है हम?
औरों के लिए नहीं अपने लिए।
किसी के पसंद-नापसंद की चिंता के बग़ैर,
अपने को दूसरों के साँचे में ढाले बग़ैर,
अपने को बौना, छोटा किए बग़ैर।
हम अपने कर्मों से बनते हैं, किसी के नज़रिए से नहीं।
ख़ुद से ख़ुद को जीत कर,
तब हम पाते है ख़ुद को, ख़ुद में खो कर।
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