Rekha Sahay   (Dr Rekha Rani)
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Joined 7 June 2021


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12 JUN AT 8:46




अपने मन से पूछ लो
वक्त मरता नहीं, बस गुज़र जाता है।
गहराई से, एक गहरी साँस लो
गुज़रा हुआ समय, अतीत …
फिर से सामने आ खड़ा होगा….
सारी यादें अपनी साथ लिए।

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10 JUN AT 11:59

अपने

अपनों की खोज में,
अपने को खो दिया।

ख़ुदा की खोजने में,
ख़ुद को पा लिया।

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9 JUN AT 14:32

ख़ुद को गले लगा

आलोचनाओं के साए तले न डगमगा,
बेमतलब के बोझ न उठा।
ख़ुद पर तू यूँ बेदर्द, कठोर न बन,
तेरा कोई दोष नहीं।

औरों को पहले, ख़ुद को न भूला जा।
पूर्णता की खोज में तू, ख़ुद को न सता।
अब बीते किस्से छोड़,
तू नई कथा लिखते जा।

स्वीकार कर ख़ुद की खूबियाँ,
प्यार से ख़ुद को गले लगा।

Positive Psychology-
A narcissist burdens their child with guilt for
simply being themselves, demanding
perfection while offering none of her own.
In chasing her approval, the child forgets to
love themselves — lost in a story written by
someone else

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7 JUN AT 12:19


जलन, आग — दिल की हो या जंगल की,
हर किसी को जलाती हैं, तपाती हैं।
कुछ जल कर कोयला बन जाते हैं,
कुछ बनते हैं राख,
कुछ तप कर सोना… कुंदन बनते हैं पाक।
कौन क्या बनता है — यह जानो,
स्वयं से प्रश्न करते रहो,
रूह से उत्तर पाने दो।

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7 JUN AT 12:06

रौशनी

उजाले में उजाला कौन खोजता है,
सुख में सुख कहाँ सोचता है।
दुख और अंधेरा याद दिलाते हैं,
क्या है रौशनी, क्या है असली खुशी।

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5 JUN AT 12:40

रूह की आवाज़

ज़िंदगी फुसफुसाई - रूह की आवाज़ सुन,
जीवन-संघर्ष हमें हैं रचते और तराशते.
युद्ध, सिर्फ विनाश और संहार,
दर्द और रुदन नहीं है लाते.

हौसले और रचना का आधार भी है बन जाते.
शिव ने दर्द से तांडव,
संहार से नवनिर्माण रचा।
महाभारत समर से गीता ज्ञान उपजा.

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3 JUN AT 10:55



अजब कहानी है समय और ज़िंदगानी की,
वक्त, ज़िंदगी, ब्रह्मांड, कर्म, दरिया की रवानी की।
यह कुछ भी अपने पास रखता नहीं,
जो दो — वही लौटाता देता है सही-सही।

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2 JUN AT 22:27


World Narcissistic Abuse Awareness Day – June 1st

Observed on June 1st, World Narcissistic
Abuse Awareness Day (WNAAD) aims to
raise awareness about narcissistic abuse
and support those affected by it.

WNAAD brings global attention to the
hidden harms of narcissistic abuse, promotes education and healing, and empowers
survivors to reclaim their voice.

मत सहो वो बात जो दिल को तोड़े,
मौन न रहो, उस बात पर जिससे रूह रोए।

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1 JUN AT 10:47



मौन की गहराइयों में डूब,
रूह की आवाज़ सुन
शब्द और शोर जहाँ थम जाएँ,
वहाँ से आत्मज्ञान सुन.

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1 JUN AT 10:39

मौन

तब मौन रह जाना ही श्रेष्ठ है ……
जब किसी को दूसरों के दुःख की कोई परवाह न रह जाए,
जब केवल अपनी ही खुशियाँ मनाने की लालसा शेष रह जाए,
जब किसी की मृत्यु भी उसके हृदय को न छू पाए,
क्योंकि वह अपने जीवन के उत्सव में ही डूबा हो —
क्या कोई बता सकता है,
ऐसे इंसानों को क्या कहा जाता है?
Psychology- Emotionless manipulators
often exploit the feelings of others as mere
tools for personal gain, untouched by
remorse or empathy.

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