नाग पंचमी
सर्पों के अधिपति शिव के गले,
विराजमान वासुकी नाग,
विष्णु शैया है आदिशेष नाग ।
सब के अंदर सुप्त है कुंडलिनी शक्तिनाग ।
प्रतीक हैं जीवन में प्रकृति, शक्ति
और विनम्रता संतुलन का ।
नाग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!-
संभल! सारा सरमाया यही रह जाना है
साँसों का हर कतरा लौटाना है।
कर्मों का आँकड़ा ले कर
रूह को वापस जाना है
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गूंज और झोके
ख्वाबों ने कहा ख्वाहिशों से —
चल सपने सजाते हैं।
ख्वाहिशों ने कहा-
बंद आँखो के सपनों तक
खुली आँखों से कैसे पहुँच?
इन ऊँचाइयों तक सिर्फ़ आवाज़ की गूंज
पहुँचती है… या हवाओं के दीवाने झोके।-
धड़कन तुझे पुकार,
दिल करता है इशारे।
जैसे हो वैसे ही दिखो
जैसे दिखते हो वैसे ही बनो।”-
रूह का सफ़र
ज़िंदगी रूह का सफ़र है।
यहाँ कुछ भी अपना नहीं है…
जो मिला है, सब छोड़ जाना है।
काया… साँसें… सब लौटानी हैं।
सारा सरमाया यहीं रह जाना है।
संभलकर ज़िंदगी बिताना है,
क्योंकि सिर्फ़ आत्मा और उसमें जमा
कर्मों का ब्यौरा साथ जाना है।-
यहाँ कुछ भी अपना नहीं है…
जो मिला है, उसे एक दिन छोड़ जाना है।
सारा सरमाया, यहीं रह जाना है।
जो साँस ली —
वो भी लौटाकर ही
अंततः हमें चले जाना है।
तो फिर इतना लालच क्यों?
जब खाली हाथ आए थे,
तो भरकर क्या ले जाना है?
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अपनी मंज़िल खुद ढूंढो, यही है ज्ञान का मूल.
इन्हों ने खोजा अंधेरों में ज्ञान का फूल।
किसी चीज़ का अभाव या प्रचुरता का आलम,
दोनों ही मोड़ देते हैं जीवन की राह और धरम।
सिद्धार्थ ने उनतीस में त्यागा यशोधरा और पुत्र का संग,
बुद्ध बने खोजा सत्य का अंतर्मन रंग।
महावीर ने तीस की उम्र में लिया वैराग्य का प्रण,
पत्नी-पुत्री को त्यागा, बने तपस्वी सुमन।
~ Rekha
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मन के घाव, दर्द और दाग देर से हैं भरते,
क्योंकि
शरीर की तरह मन पर मरहम नहीं हैं धरते.
यही ज़ख्म रूह को मज़बूत हैं बनाते,
जब इन्हें समझ जाओगे,
ज़िंदगी के रास्ते आसान हो जाएँगे।
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