वही रुके हैं…..
तुमने जहाँ छोड़ा, वही रुके हैं,
नाउम्मीद हैं फिर भी ना जाने
किस उम्मीद में वही रुके हैं।
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ऊपर वाला संगतराश
ख़ामियाँ ना तलाश,
बस खुद को तराश।
चोट और दर्द तोड़ने नहीं,
निखारने का है प्रयास।
ऊपर वाला संगतराश,
हर चोट से देता है आकार।
संगतराश - पत्थर तराशने वाला कलाकार-
सर्वपितृ अमावस्या (21.09.2025)
अंगुष्ठे से पितृ-तीर्थ अर्पित जल
उन्हें तृप्ति और शांति देगा,
नैऋत्य कोण व पीपल तले, तैलदीप
उनका मार्ग प्रकाशित-प्रशस्त करेगा।
यह उन पहुँचा या नहीं,
यह बताने वाला कोई नहीं,
पर यह अद्भुत, ख़ूबसूरत परंपरा आध्यात्म,
विज्ञान या मनोविज्ञान जो भी है,
अपने रूह औ दिल को सुकून जरूर देता है।
ॐ पितृदेवाय नमः!!
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नाग पंचमी
सर्पों के अधिपति शिव के गले,
विराजमान वासुकी नाग,
विष्णु शैया है आदिशेष नाग ।
सब के अंदर सुप्त है कुंडलिनी शक्तिनाग ।
प्रतीक हैं जीवन में प्रकृति, शक्ति
और विनम्रता संतुलन का ।
नाग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!-
संभल! सारा सरमाया यही रह जाना है
साँसों का हर कतरा लौटाना है।
कर्मों का आँकड़ा ले कर
रूह को वापस जाना है
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गूंज और झोके
ख्वाबों ने कहा ख्वाहिशों से —
चल सपने सजाते हैं।
ख्वाहिशों ने कहा-
बंद आँखो के सपनों तक
खुली आँखों से कैसे पहुँच?
इन ऊँचाइयों तक सिर्फ़ आवाज़ की गूंज
पहुँचती है… या हवाओं के दीवाने झोके।-
धड़कन तुझे पुकार,
दिल करता है इशारे।
जैसे हो वैसे ही दिखो
जैसे दिखते हो वैसे ही बनो।”-
रूह का सफ़र
ज़िंदगी रूह का सफ़र है।
यहाँ कुछ भी अपना नहीं है…
जो मिला है, सब छोड़ जाना है।
काया… साँसें… सब लौटानी हैं।
सारा सरमाया यहीं रह जाना है।
संभलकर ज़िंदगी बिताना है,
क्योंकि सिर्फ़ आत्मा और उसमें जमा
कर्मों का ब्यौरा साथ जाना है।-