QUOTES ON #सामाजिक

#सामाजिक quotes

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25 JUL 2017 AT 11:51

बेटी, बहन, बहू, मां,और भी कई रिश्ते;
पैदा हुए तो घर में , मातम सा छा गया।

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12 MAY 2021 AT 9:10

कोई भी व्यक्ति "सामाजिक व्यवस्था"
का समर्थन तब तक करता है,
जब तक वो "व्यवस्था" उसके "समर्थन" में हो..!!
:--स्तुति

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11 OCT 2023 AT 22:40

हो तुम अलौकिक शून्य ......

रचना अनुशीर्षक में पढ़े 👇

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8 DEC 2020 AT 11:51

अविरल बहाव में हैं
रंगहीन भाव,,
पानी नहीं जो जम जाएँ
तेज हवा तूफां भी नहीं जो थम जाए,,
सामाजिकता,
संस्कार संस्कृति या रिश्ते की स्वार्थता
रोम छिद्रों के माप से ही
रिसाव......हृदयघाव से....निरंतर
क्लेश•••संताप का!!
दुर्लभ भाव....स्वतंत्रता के पश्चात भी न थमा
कब तक और बहेगा?
अलाभ की आशंकाओं के बांध को नहीं लाँघें मन
बहाव लाभ देगा या दाग़!!



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17 FEB 2021 AT 14:09

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1 JUN 2019 AT 20:37

चाहता हूँ
छोटे से बच्चे की तरह लेटा रहूँ
उस निसंतान स्त्री की गोद में
जो थक चुकी है
माँग कर मन्नतें!

चाहता हूँ
कुछ रंग सौंप दूँ
उस साँवले रंग रूप वाली लड़की को
जो आधी उम्र बीत जाने पर भी
अनब्याही है!

चाहता हूँ
स्नेह से रख दूँ हाथ सर पर
और हाथ मे रख दूँ कुछ सपने
उस बच्ची के
जिसने पिछले दिनों खोया है
अपने पिता को!

चाहता हूँ
गले लगा कर खूब रोने दूँ
उस युवती को
जिसने अभी-अभी प्यार में
खाया है धोखा!

लेकिन जब चाह कर भी
नहीं कर पाता हूँ ऐसा!

तो सोचता हूँ
आदमी को
या तो सामाजिक होना चाहिये!
या संवेदनशील!

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13 JUN 2020 AT 22:25

दर्द ए दिल अब बयान कैसे हो और किसके साहरे हो ,अब हर कोई है खून का प्यासा चारो तरफ़ रंजिश ही रंजिश अब सुकून कहा से हो,हर तरफ है मौत का साया,कौन है अपना कौन पराया ये नहीं अब जाने कोई,क्यों न लिख ही लिया जाए।

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3 DEC 2021 AT 13:38

(सामाजिक विकास) कविता

मन के सारे गिले -शिकवे मिटाएं
दिल से दिल के तार मिलाएं
आओ प्रेम रंग में सब रंग जाएं

भूल के सारे मजहबी उन्माद को
थाम के एक दूजे के हाथ को

निरंतर आगे बढते जाएं
आओ एक नया जहां बनाएं
देश को प्रगति पथ पर आगे ले जाएं

आरक्षण को सूली चढ़ाए
सिर्फ योग्यता को आधार बनाएं

बनकर जिम्मेदार नागरिक देश का
सबको समानता का हक दिलवाए

बेटियां बचायें, बेटियां पढ़ाएं
जल,थल,नभ में धाक जमाये

देश ही हो सर्वोच्च प्राथमिकता
आओ फिर से भारत को विश्व गुरु बनाए

हाथ मिलाए, प्रगति पथ पर बढ़ते जाएं
आओ एक ऐसा नया जहां बनाएं


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11 APR 2021 AT 12:57

तरुणांची जशी त्यांच्या कुटुंबात गरज असते
तशीच त्यांची गरज सामाजिक जीवनात
" समाजाला " असते

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29 JAN 2020 AT 12:50

ऐसे तौल लेते हैं, नज़रो से कुछ लोग
ग़रीब के आभूषण, नकली लगे जिन्हें
वो अमीरो के खोटे ज़ेवरात को भी
खरा सोना मान लेते हैं।

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