बात यूँ तो बड़ी साधारण सी है
हाँ ये कहानी नील आकाश और नीले साग़र की है
सुर्य की किरण में दोनो के रंग बड़े ही चमकते
निले साग़र और नीले अम्बर के रंग बहुत खूब दमकते
रँग दोनों के एक हैं पर कार्य पूर्णतः भिन्न
एक जल तो दूजा आकाश और दिखाते एकदूजे को प्रतिबिंब
दोनो ही किसी से कम नहीं न बाज वो आते न बाज ये आते
आकाश धूप की गर्मी से मेघ बनाते तो साग़र मेघों की कड़वाहट से जल वापस पाते
पर इन दोनों के ही मध्य अथा प्रेम सम्बन्ध है जो कभी न टूटे वैसा संगम है
साग़र आकाश को देखे बिना ना रहे तो आकाश साग़र के बगैर सांस ना ले वैसा बन्धन है
हाँ परम सत्य ये भी है दोनों ही पँच महाभूतों के महत्वपूर्ण भाग हैं
एक में समाया "अमृत" तो दूजा अमृत पान से अजर "अमर" है-
हमने अपने अरमानों को पल पल मचलते देखा है
हम सफर नही तुम मेरे मंजिल मै तुमको देखा है
न अपने हो न पराए कभी कभी याद बहुत आए
तेरी यादो में इस दिल को पल पल जलते देखा हैै
न गुजरेगी मेरी राह कोई कभी तेरी रहगुजर से
फिर भी इन कदमों को तेरे दर तक बढ़ते देखा है
कभी न खत्म होगा तेरा इंतजार ये मेरा
फिर भी इन आँखों को तेरा रस्ते तकते देखा हैं
हमने अपने अरमानों को ....... हमने अपने अरमानों को पल पल मचलते देखा है
हम सफर नही तुम मेरे मंजिल मै तुमको देखा है
न अपने हो न पराए कभी कभी याद बहुत आए
तेरी यादो में इस दिल को पल पल जलते देखा हैै
न गुजरेगी मेरी राह कोई कभी तेरी रहगुजर से
फिर भी इन कदमों को तेरे दर तक बढ़ते देखा है
कभी न खत्म होगा तेरा इंतजार ये मेरा
फिर भी इन आँखों को तेरा रस्ते तकते देखा हैं
हमने अपने अरमानों को .......
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बारिश के मौसम में
जब विरह के ओले पड़ते हैं
तब वो जी भर कर रोती है
और संतृप्त कर लेती है
खुद को किसी समुद्र की भांति
और
पतझड़ में
प्रेम की सूख चुकी
टहनियों के जल जाने से
वो भी सूख कर रह जाती है
क्या आंखें भी
किसी जलाशय
की तरह मौसम के आज्ञा
पर निर्भर करती हैं??-
कविताएं प्रेम की जो लिखी हैं चांद पे
सो आप चांद देखिए, सागर में छान के
- सुप्रिया मिश्रा-
मिटा देंगे हर नफरत काे अौर इस कदर हर रिश्ता निभाऐंगे,
गर खड़ी रहेगी नफरत रास्ते पर उसे भी हम प्रेम के जल में भिगाकर रब जैसे सागर में मिल जाएंगे!-
चाहत की तस्वीर जो पूरी हो ना सकी
वफ़ा के रंग में कुछ कमी रह गई होगी
खबर लग गई ज़माने को तेरे ग़म की
पलको पे कुछ नमी रह गई होगी
यूँ तो सागर बहुत गहरा है प्यार का तेरे
पर दर्द मे डूबी कुछ ज़मी रह गई होगी
सावन तो आया पर जो भीगो दे मन को
ऐसी बारिश वो मौसमी रह गई होगी
"Sagar- Ocean Of Love"
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अगर सागर से ही प्यासे को जीवन मिलता तो
वो नदियों की तलाश में क्यों भटका फिरता ?
आखिर क्यों?-
किसी को शायर बना देता है
किसी को पागल बना देता है
वक़्त की बादशाहत देखो दोस्तो
किसी को बूँद तो किसी को सागर बना देता है-