आते वक़्त नींद आयी थी कछुए पर और यादें खरगोश पर होकर सवार। जाते वक़्त दोनों ने अपने वाहन बदल लिये।
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राहगीर को मै भुला दूँ,
फिर एक नई बहार दूँ।
खुद के संग चल के मै,
अपनी जिन्दगी सवार दूँ।।-
आओ नाव पर सवार होकर
लहरों पर थिरककर
जीवन में बेफिक्र होकर
एक दूसरे में खोकर
जीवन का आनंद प्राप्त करें
आओ नाव पर सवार होकर
जीवन को जीवंत हम करें ।-
मैं शून्य पर सवार हूं
बेअदब सा मैं खुमार हूं
मुश्किलों से क्या डरूं
मैं खुद कहर हजार हूं
मैं निर्जरा, बंजर धरा
जितना जिया, उतना मरा
मैं लड रहा समाज से
पहचान लेकर ख़्वाब से
प्रकृति भी अब खिलाफ है
उम्मीद की ही प्यास है
जिंदा होने की पहचान हूं
मैं मृत्यु सा वरदान हूं
सुदर्शन चक्र का प्रहार हूं
मैं शून्य पर सवार हूं-
प्रेम की नैय्या_
प्रेम में 'देना' तो केवल 'ज़िन्दगी' भर के लिए
'साथ देना' होता है।
प्रेम में 'लेना' तो केवल कीमती 'आँसुओं' को बस
'रोक लेना' होता है।।
प्रेम में 'प्रश्न पूछना' तो केवल किनारों से
'भट्टके लोगों' के लिए होता है।
प्रेम की 'नैय्या में जो सवार' है, उन्हें तो बस
'राम के भरोसे' मिलता है।।-
थोड़ा रेहम कर ए- जिंदगी,
थोड़ा सवार जाने दे..
तेरा अगला ज़ख्म भी से लेंगे..
पहले वाला तो भर जाने दे!!
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अस्सी से पहले की पैदाइश हैं
हमें ऑनलाइन प्यार नहीं होता
कितनी ही लुभावनी बातें कर लो
ऐसे ही किसी का भूतसवार नहीं होता
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हुई है गलती धीरे धीरे सुधार रही हूँ कुछ
इस तरह जिदंगी सवार रही हूँ 💕-
बस भी तैयार है और हम बस में सवार है
देखो ना हमे बस भी लेने आ गई
उसे भी हमारा इंतजार है
और ,और हम बस में सवार है
ठंडी ठंडी हवा के झोंके है
खिड़की से बाहर का
दृश्य कितना सुंदर लग रहा है
जैसे आसमाँ पुकार रहा हो हमे
तारे इंतज़ार कर रहे हो मेरा
अचानक से रात हो गई
राह में बरसात हो गई
वो मिट्टी की सोन्दी सोन्दी खुशबू
जैसे धरती बुला रही है हमे
जैसे उसने दोनो बाहें फैला दी हो
ओर हम लिपट रहे हो उससे
अचानक से बस के सामने गढ़आ गया
बस झटके से रुक गई हो
ऐसे जैसे अंतिम पलो में साँसे थम जाती हो
और हमेशा हमेशा के लिए
एक गहरी नींद सो जाने के लिए
उस धरती की गोद मे
ओर उस खुले आसमाँ के तले
तारो की छांव चाँद की
झीनी झीनी रोशनी और गहरी नींद
जो हमे सबसे ज्यादा प्यारी है-