चाहे मिले सराहना, चाहे मिले उलाहना
कम न होगा कभी, इन शब्दों को चाहना-
लगातार पढ़ते और सराहते हैं लोग
इस अकेली कलम को कितना चाहते हैं लोग
ये उनकी वाह है या आह कौन जाने
क्या मेरे दर्द से कराहते हैं लोग ?
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मानवता ही मनुष्य का मूल धर्म है,
जिसके मूल मंत्र हैं -
सद्भावना, संवेदना, समर्पण,
स्वीकार्यता, सराहना, समर्थन,
सम्मान, प्रेम और आत्मीयता।
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बहुत बुरा लगता है जब Highlight का सही प्रयोग नहीं होता, खासकर तब जब लेख अच्छा हो और लेखक छोटा हो 😒😒
अगर आप comment नहीं कर सकते तो कृपया like ही करके मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया करेंll
और लेखकों से भी अनुरोध है कि कुछ नहीं तो धन्यवाद ही प्रतिक्रिया के उत्तर में लिख दिया करेंll
मैं नहीं देखती किसी का Highlight कारण सिर्फ़ यही है कि उत्कृष्ट रचनाओ को ignore करने पर दुःख होता हैll शायद मेरा यह निर्णय भी सही नहीं हैll अगर इससे बेहतर कोई और उपाय हो तो आपके अनमोल सुझावों का सहृदय स्वागत है🙏
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जो आप सभी ने
मुझे प्रोत्साहित किया
मुझे प्यार दिया और
मेरी रचनाओं को पसंद कर
मेरी सराहना की🍁।
🙏 आप सभी का सहृदय आभार 🙏-
राहत की आह को जब-जब भी हमनें चाहा है।
मच्छरों सा है अनुतोष तुम्हारा; हर वक़्त हमें खूब सराहा है।।-
'अवसाद'
अवहेलना के रास्ते...
और
'सफलता'
सराहना के रास्ते...
आप तक... आते हैं ।-