रोज़ किसी को किसी की,
ज़रुरत नहीं होती;
ये ज़िन्दगी है,
इसमें मोहलत नहीं होती;
इश्क़ कई दफा हो भी सकता है,
दोबारा मोहब्बत नहीं होती;
अक़्सर रूठ जाते थे ग़ैरों से,
अब अपनो से भी शिकायत नहीं होती।-
ख़ामोशी से वास्ता अच्छा है,
सच कहूँ ये रास्ता अच्छा है,
मैंने देखें हैं बोलते हुए बुत,
मेरा तन्हाईयों से राब्ता अच्छा है।-
ख़्वाब मेरे थे,
पूरे तुम्हारे हुए,
इक ही ख़ुदा है,
जुदा क्यूँ इशारे हुए,
मुद्दतें हुई आँगन में बैठे हुए,
जब से छतें तुम्हारी,
रोशनदान हमारे हुए।-
हश्र के क़िस्से जो चाँद को सुनाए थे कभी,
अमावस फिर वही हश्र ले आयी है।-
चुप-चुप के, छुप-छुप के रहा,
वो सर-ए-आम हो रहा है,
इक दो नहीं तमाम हो रहा है,
हर ख़ास-ओ-आम देखो,
'श्रीराम' हो रहा है।-
वजह हो तो भी नाराज़गी नहीं होती,
इक उम्र से पहले ये सादगी नहीं होती।
सजी ही रहती हैं दुकानें तर माल से हर-सू,
ख़बर तो सबको है कि उसमें ताज़गी नहीं होती।
मुक्कमल हो ही जाएँ तेरे साय में ऐ दिल,
कि हमसे अब ये आवारगी नहीं होती।-
ज़रा मुश़्किल है याद तेरी रोज़ाना,
ना ख़ुदा करना है तुझे,
ना मंज़ूर है हो जाना।-
उनसे मिलने की ख़्वाहिश नहीं है
कि मुझमें अब रंजिश नहीं है,
अना रखो या फ़ना हो जाओ
इश्क़-इश्क़ है बंदिश नहीं है।-
जैसे दारू दवा सी अच्छी है
वैसे मोहब्बत दुआ सी अच्छी है,
नींद कज़ा सी अच्छी है
तो यादें हवा सी अच्छी हैं।-
रेत से रिश्ते
संभाल के रखिए ,
गर हवा हो जाएं
तो मिसाल पे रखिए।-