किस तरह घर से दूर बीत रही,हाल-ए-जिंदगी घर नहीं बताता,
हँस देता हूँ फोन पर,अपना दर्द नहीं बताता
सबको बहला देता हूँ मैं बातों से अपनी
फ़क़त एक माँ है जिससे कुछ छुप नही पाता
वक़्त पर नही मिलती थी तो घर सिर पर था उठाता
अब दो वक्त की खाकर,दिन हूँ अपना बिताता
सज़ा खूब दे रहा है वक़्त, वक़्त बर्बाद करने की,
अब तो नींद में भी ख्याब, आवारगी का नही आता
नासमझ "मुनीष" समझदार इतना हो गया
कि, रोता है पर आंसू नहीं बहाता।-
4 AUG 2018 AT 12:06
15 MAR 2020 AT 12:18
टुकड़े पड़े थे राह में
किसी हसीना की तस्वीर के
लगता है
कोई दीवाना आज समझदार हो गया-
27 APR 2020 AT 13:43
खैर एक बात तो है
बड़े खुदगर्ज़ हो तुम ।
मानती हूं बहुत समझदार हो
पर बड़े ही बे-दर्द हो तुम ।-
15 OCT 2019 AT 11:20
समझदार इंसान का दिमाग ज्यादा
चलता है और मूर्ख व्यक्ति की जुबान।
"हिमांशु बंजारे"
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24 OCT 2019 AT 18:20
सही वक्त के चलते समझदार बन जाओ,
क्योंकी, हर वक्त समझदारी सिखाने समझदार ही
मिलेगा ये जरूरी तो नहीं।-
6 JAN 2020 AT 12:49
समझदार लोगों की बेवकूफी भरी बातें भी
समझदारी से भरी होती हैं।-
7 MAR 2021 AT 15:40
"मुझे मेरे लफ्ज़ों से एक बार में पहचान लो मेरे नज़्मों से जान लो अभी तुम इतने भी समझदार नही हो।
जो लगता हैं कि बस लिखने से तुम्हें रुहानियत आ जाएगी ए दोस्त, इतना जान लो तुम 'अभिशार' नही हो।"-