सब्र, पंख है.. उड़ान के लिए..
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अनजाने रास्ते पर भी सहूलियत से चलने का हुनर रखते हैं ...
अरे हम नए भारत की नारी हैं साहब !
जिंदगी भर जिंदगी से लड़ने का सब्र रखते हैं ...
लेकिन जो जंग हो हमारी आबरू की तो,
हम अपने दुश्मनों के लिए कफन और कब्र भी रखते हैं ...-
मुझे भुलाना ही था तुझे तो भुला देते
ऐसे कमियां गिनाना अच्छा नहीं होता.
तुझे मोहब्बत नहीं थी तो नहीं करना था
किसी को बदनाम करना अच्छा नहीं होता.
तुम अबस ही बदनाम कर रही हो मुझे
जान मोहब्बत में ऐसे खेलना अच्छा नहीं होता
यह मोहब्बत है इसमें इतिबार किया जाता है
ऐसे आज़माईश करना अच्छा नहीं होता
गोपाल तू ही कच्चा है अभी इस खेल में
सभी को मोहब्बत हो यहां ऐसा नहीं होता.-
उनने आजमाया सब्र मेरा ए मौत
तुझे भी इजाजत है आकर छोड़ जाने की
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हर रात ख़्वाहिशें और सब्र मन में लिए सोता हूँ
मेरी उम्मीदों की सुबह जब भी होगी हसीन होगी-
ऐ मौत...!
क्या सुनाऊं अपने सब्र की कहानी,
तू उम्र भर रही, मेरी कब्र की रवानी...-
बेमौसम बरसातों में
वरना यूँ नहीं रोते पछताते मनहूस रातों में-
ऐसा हर कोई कहता हैं
मगर, हैं कोई ऐसा,
जो मेरा दर्द देखकर थोड़ा उधार मांग लें।
हैवानियत कि चादर ओढ़े,
मगरूर हैं आज जमाना,
जो, ज्यादातर महिलाओं और गरिबों पर
हीं प्रहार करता हैं।।-
हर मुश्किल में सब्र से काम लेता हूँ
ख़ुशी हो तब भी वही नाम लेता हूँ
लोग खींचते हैं मुझे गुनाहों की तरफ़
जब भी लेता हूँ हलाल-ए-जाम लेता हूँ
दुनिया खिलौने की तरह खेलती रही
चाभी ख़त्म होने पर ही आराम लेता हूँ
कोई आता ही नहीं "आरिफ़" की तरफ़
अपने गुनाहों से ही अब अंजाम लेता हूँ
"कोरा काग़ज़" मिला है नेकियाँ भर लो
आज ख़ुशियाँ सभी की तमाम लेता हूँ-