देख बसंत आ गया इस बार भी हर बार की तरह
पर देख तू ना आई इस बार भी हर बार की तरह.
मैं प्यासा का प्यासा ही रह गया हर बार की तरह
तू ना आई दिल-ए-प्यास बुझाने हर बार की तरह.
सोचता हूं तो तेरी ही याद आती है हर बार की तरह
मुझे डर है ये बसंत गुजर ना जाए हर बार की तरह.
देख बसंत गुज़र गया इस बार भी हर बार की तरह
देख मैं इंतज़ार में हूं इस बार भी हर बार की तरह.
मैं रह-रहकर जल रहा हूं "गोपाल" हर बार की तरह
डर है मैं बुझ ना जाऊं इस बार भी हर बार की तरह-
जिसे हम इश्क़ समझ रहे थे
उसे वो खेल समझ रहे थे.
जिस पर हम कर रहे थे येकिं
वो हमें मज़ाक समझ रहे थे.
हम उससे बात भी क्या करते
उनके पास बहाने हज़ार थे.
हम थे ही नादान "गोपाल" जो
इक बेवफ़ा से दिल लगा रहे थे.-
तुम अगर बुरा न मानो तो इक बात कहूं
मज़ा अलग है इश्क़ में बर्बाद होने का।-
मुझसे इक छोटा सा काम भी न हो सका,
इश्क़ होने से मैं दिल को भी न रोक सका,
जिंदगी भर उसकी यादें ना आई हो,
मैं इक पल भी ऐसा गुज़ार न सका.
क्या-क्या सोचता हूं मैं रात भर उसके लिए,
मैं इक बार भी मिलकर उसे बता न सका.
इक शख्स से इश्क़ किया था मैने गोपाल,
फ़िर ताउम्र मैं उससे बाहर निकल न सका.-
अगर मैं भी तुम्हारी तरह बदल जाऊं,
तो बताओ यह मोहब्बत निभाएगा कौन.
अगर यहां इश्क के बदले इश्क मिले तो
इक तरफ के इश्क़ की सजा पाएगा कौन.
अगर मैं भी तुम्हारी तरह अपनी ही सोचूं,
तो बताओ दूसरे के बारे में सोचेगा कौन.
अगर मैं भी इश्क़ में मुनाफा देखूं गोपाल,
तो बताओ किसी से यहां इश्क़ करेगा कौन.-
यह काजल भी रंग के आधार पे भेदभाव करती है,
ये गोरी से ज्यादा सांवली की आंखों में जचती है.-
मैं पहले क्या था और अब क्या हो गया,
मैं इक अच्छा आदमी था जो बुरा हो गया.
लोग यहां से वहां वहां से यहां आ जा रहे है,
और मैं इक चौराहे पे रखें पत्थर सा हो गया.
मैं कुछ भी नहीं करता सिर्फ देखता रहता हूं,
मैं जिंदा और चलता फिरता बीमार बन गया.
ऐसा नहीं है कि मुझे किसी से इश्क़ नहीं है,
सच कहूं इस इश्क़ से मेरा यह हाल हो गया.
देख मुझे गोपाल मैं क्या से क्या हो गया हूं,
मोहब्बत करता-करता ग़ज़ल कलाकार हो गया-
यादें उसकी आती ही रही रात भर,
आज मुझे नींद नहीं आई रात भर.
बातें जो उसने की थी साथ बैठकर,
मैं सोचता हूं उन्हें अकेला बैठकर.
ऐसा नहीं है कि मैं जी नहीं पा रहा,
पर अब जीने का मजा नहीं आ रहा.
अब उससे फ़रियाद कैसे करूं मैं,
उससे मिल भी नहीं पा रहा हूं मैं.
अब कोई मंजिल भी नहीं मेरी गोपाल,
सोचता हूं कि फिर क्यों जी रहा हूं मैं.-
गोरी से मोहब्बत किया इसलिए तुम जिंदा हो,
तुम सांवली से दूर रहना वरना मारे जाओगे.-