सच कहने की सहूलियत है सिर्फ़ पागलों को,
गुस्सा के उसने अपना शीशा बदल लिया!
किरदार की हक़ीक़त छुपती नहीं छुपाए,
लोगों ने हमको देख के रास्ता बदल लिया!
इक पल ख़याल मेरा ज़रूर आया होगा,
सुनते हैं उन आँखों ने सपना बदल लिया!
वाकिफ़ हूँ तिश्नगी से उन बेवफ़ा लबों की,
उसने भी अपना हुलिया बदल लिया!
एक उम्र तक दिल का था मेरा,
शायद किराएदार ने अब कमरा बदल लिया!
मिलने का एक बहाना हर बार मिल गया था,
खिड़की का उसने देखो परदा बदल लिया!
मुद्दत से दिल पे कोई दस्तक नहीं हुई,
पता गलत बता के परचा बदल लिया!
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