एक दिन हुस्न से सादगी ने कहा
मुझको पहना करो सच्चा जेवर हूँ मैं-
मैं अपनी हर एक झूठी बात में सच्चा था...
हां ये उन दिनों की बात है,
जब मैं बच्चा था...-
भरोसा है अगर अपनी मोहब्बत पर सच्चा,
यकीन मानिए एक दिन होगा सब अच्छा,
जरूरी नहीं मोहब्बत साथ ही हो हमेशा,
दूरी के बाद भी अक्सर एहसास होता है सच्चा।-
खुली आंखों से देखीं दुनिया जब है..
मासूम चेहरे में शातिर यहां सब है..
जिसपे भी करो भरोसा वही ठग है..
“झूठा सारा जग है; सच्चा केवल रब है।”-
बच्चों वाली ज़िन्दगी,
हर किसी को पसंद है,
पर हर कोई यहाँ,
बच्चा नहीं होता।
सच्चाई भरी ज़िंदगी में,
प्रेम की तिश्नगी में,
तलाश लो तुम ही,
हर कोई यहाँ सच्चा नहीं होता।।-
अम्बर की जिसपें बरसने की ख्वाहिश है
धरती भी जिसे पाकर फूले ना समायी है
हमनें तो अब जाकें जाना
यें इश्क़ तो सदियों से हम सबका हरजाई है।।
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उसने, मुझे, मेरे करीब किया है,
इश्क़ उसका मुझसे कितना सच्चा है ।।-
तुम्हें जब भी पढ़नी हो,..
"प्रेम कि परिभाषा"तो,..
एक बार जरूर देख लेना..
मेरी झुकी पल्कों के कवर
पेज के नीचे दबी आंखों..
में तुम्हारे लिए छुपाए गए..
प्रेम पत्रों को..
जो बताएगी तुम्हें मेरा
सच्चा प्रेम..
निस्वार्थ भाव सा प्रेम,..
उन्मुक्त मूलक प्रेम,..
निश्छल प्रेम,..
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हे खुदा! कसम दे तू ,
गर गलत हूं तो कफन दे तू।
और प्यार हमारा सच्चा है अगर,
तो साथ उसके हर जन्म दे तू।।-