मचा है तूफान मौसम में
फिर कोई हरकत होने को है
अंधेरा भी रोशन कर रहा है
फिर रब बरकत करने को है-
रात के अंधेरे में खोई हुई ख्वाहिशें
ढुढ़ते चमचमाते जुगनू की, प्रकाश है!
धुंध से कोहरे मे, पेड़ों की ओट में छिपे
सूरज के निकलने का, इंतजार है !
रफ्फु कर सके मेरी फटी-फुटी ज़िन्दगी
इक ऐसे दर्जी की, तलाश है!
मंजिल का बेशक पता नहीं, मगर
चलते रहे सही राहों पर ये, प्रयास हैं !
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टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ
गीत नया गाता हूँ-
✍️कलम बोली-मत भूलो✍️
मैं मरहम लगाने वाली हूँ, मुझे बेरहम मत बनाओ।
मैं 'कलाम' बनाने वाली हूँ, मेरे से सर कलम मत कराओ।
मैं सबको समान मानने वाली हूँ, मुझसे असमानता मत फैलाओ।
मैं 'सोने की चिड़िया' लिखने वाली हूँ, मुझसे लूट और दंगे मत लिखाओ।
मैं 'भारतीय' लिखने वाली हूँ, मुझसे हिन्दू-मुस्लिम मत लिखाओ।
मैं शांति चाहने वाली हूँ, मुझसे अहिंसा मत फैलाओ।
मैं हूँ प्रगति की प्रतीक, मुझे हिंसा का प्रतीक मत बनाओ।
(कलम की ताकत का गलत प्रयोग करने वालो पर दुख व्यक्त किया है।)-
तेरी ना कामयाबी का
और मेरी कामयाबी का
एक ही कारण है।
तुझे अमीर बनना था ।
और मुझे मिशाल।
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हर एक सपना सच होगा तेरा
बात ये मेरी मान लो ,
मेहनत के बिना कुछ नहीं होता
ये भी तुम जान लो ।
थोड़ा वक्त लगेगा तुझे
पर कामयाबी हासिल होगी ,
ठोकरें खाएगा तू बार बार पर
मंजिल अपनेंसे थोड़ी और करीब होगी ।
इस बार तुझे
अपने मुकाम पर पहुंचना हैं ,
डर को हरा कर
इस ज़िन्दगी को जितना हैं ।-
हम मुस्कुरा कर हर गम
भुला देते हैं,
और लोग हम जैसा बनने की
दुआ करते हैं।-
जो चल रहा हैं उसमे खुश रहना सिखो।
जो आयेगा उसके बारे में अभी सोच कर
अपना आज मत गवाओ। चाहे सुख हो
या दु:ख उसका सामना आत्मविश्वास के
साथ डट के करो। क्योंकि जीवन में
उतार-चढाव लगा रहता है। अगर आप ये
सोच के रुक गये कि जीवन कि रफ़्तार
बहुत धिमी हैं, तो आप बहुत पिछे हो जाएंगे।
इसलिए धीरे-धीरे ही मगर अपने लक्ष्य
की ओर आगे बढ़ते रहे, और जीवन
का आनंद लेते रहे।-
क्यों हर रोज़ ये शिकायत-'वो समझते नहीं मुझे'
मैंने सुना है हीरे की परख जोहरी ही करता है ।-