Prabhakar Singh   (रनवीर)
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Ig- ranvee_singhh
Joined 1 May 2019


Ig- ranvee_singhh
Joined 1 May 2019
28 AUG AT 23:19


मुहब्बत में वो क्या सितम कर गई है,
कि नाम था खुशी और ग़म दे गई हैं॥

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21 AUG AT 19:11

पूनम की सिंदूरी लालिमा से मिलकर जो चांद पूरा सा लगता है!
अमा के साए में वही अक्सर सबकुछ होकर अधूरा सा लगता है॥

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15 AUG AT 1:08

31 अक्तूबर सन 1875 को भारत में जन्मा एक वीर जलाल सुनो।
बिना युद्ध विचारो से ही सभी रियासतो को कर डाला एक राष्ट्र सुनो ।
लोहे जैसा अडिग, अमिट था वह भारत मां का लाल सुनो।
आओ कथा बताए उसकी और उसके ही अब हाल सुनो ।
धीर, वीर, निर्भीक लौह पुरुष था वह भारत मां का लाल सुनो।

जिसने 1918 में गांधी के खेड़ा आंदोलन में कर रखा था प्रतिभाग सुनो।
जिसने दुष्टा ब्रिटिश हुकूमत के आगे भी कभी न टेका पांव सुनो ।
उसी पटेल ने गोरों के खिलाफ रखी कर कम करने की मांग सुनो।
अंग्रेजी हुकूमत की धमकी के आगे भी न अपने घुटने टेके ।
और अपने मुद्दे पर कायम रहकर दिलवा डाला इंसाफ सुनो।
धीर वीर निर्भीक लौह पुरुष था वह भारत मां का लाल सुनो।

1928 के बारडोली सत्याग्रह में रहकर उसने भर दी थी नई जान सुनो ।
प्रांतसरकार की लगानवृद्धि पर अक्रोशित हो रख दी कम करने की मांग सुनो।
और सरकारी लाठी के भी आगे उसने कायम रखी अपनी मांग सुनो।
बारडोली आंदोलन को सफल बनाकर कर डाला अमर नाम सुनो।
धीर, वीर, निर्भीक लौह पुरुष था वह भारत मां का लाल सुनो।
गाथा बता रहे प्रभाकर जिनकी सरदार वल्लभ भाई उनका नाम सुनो।

जो देश भक्ति का जज्बा रखकर पा गया अमिट सम्मान सुनो।
ऐसे अडिग अमर अमिट वल्लभ भाई को मिलकर सभी प्रणाम करो।
जिस माई की कोख से जन्मा उस माई को प्रणाम कहो ।
धीर, वीर, निर्भीक लौह पुरुष था वह भारत मां का लाल सुनो।

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10 AUG AT 14:07

Life is not about living but about doing something, achieving somethings and creating history.

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10 AUG AT 0:36

पहले तो सबके एक ही राम थे,
अब तो सबके अलग राम हो गए॥
देश जब गुलाम था तो हम सब एक थे ,
देश क्या आजाद हुआ हिंदू मुसलमान हो गए॥
अपने ही स्वार्थ खातिर लगाई थी,
जो आग जिन्ना और नेहरू ने,
जिसके यार हम सब शिकार हो गए॥
पहले तो सबके एक ही राम थे,
अब तो सबके अलग राम हो गए॥

वोट की थी राजनीति नेताओं लाभ नीति,
चुनाव की थी कूटनीति, धर्म की यही फूटनीति,
जिसके हम सब शिकार हो गए॥
नेताओं के चुनाव में जो काम आए मित्र वही,
हम सब तो यार वही चुनावी हथियार हो गए!
पहले तो सबके एक ही राम थे,
अब तो सबके अलग राम हो गए॥

रसखान,कबीर, रहीम, जी ने राम में कभी भेद किया!
हिंदू और मुस्लिम में न ही कभी कोई सेंध किया॥
साईं जी ने भी कभी राम न रहीम किया,
सबका मालिक एक है यही बस सहेज दिया॥
फिर भी इन राजनेताओं ने हमारे संबंधों पर चोट दिया॥
धर्म बाद का विष हम सबके मन में घोल दिया॥
हिंदू और मुसलमां में हम सब को तोड़ दिया॥
रिश्तों की मिठास को नींबू सा निचोड़ दिया॥
पहले तो सबके एक ही राम थे,
अब तो सबके अलग राम हो गए॥

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22 JUL AT 9:15

सिर्फ उम्मीदें रखने से मंजिल नही मिलती मेरे दोस्त ॥
अक्सर रातों की नींद हराम करके जगना भी पड़ता है
मंदिर जाने से सिर्फ तसल्ली मिलती है मेरे दोस्त ॥
मंजिल पाने के लिए सब कुछ त्यागना पड़ता है॥

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18 JUL AT 0:49

यारो मैं टूटे दिल का हर सबब जानता हूं,
मेरी जान मै तुम्हारा आज, कल जानता हूं॥
और तू पहली मुहब्बत भले ही न हो मेरी पर,
मैं तुम्हारी पहली मुहब्बत का सबक जानता हूं ॥

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31 MAY AT 23:37

सुनो तुमसे मिलूंगा कभी,तो बहुत सी बातें करूंगा पर,
सोचो अगर तुम्ही न मिली तो किसी से क्या ही कहूंगा॥

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21 FEB AT 21:28

बहाकर आंसू इन आंखों को दरिया बनाया जा रहा है॥
मुझसे दूर जाने का क्या खूब जरिया बनाया जा रहा है॥
बदल गई है बाते उनकी और बदल गए है इरादे उनके!
वाह मुझसे दूर जाने का प्लान बढ़िया बनाया जा रहा है॥

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19 FEB AT 23:48

मुझसे दूर जाने का,
निर्णय तो उसी ने लिया था ,
कि मै खामोश रहा,
मेरा गुनाह बस इतना था!!

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