आवारा- सा- इश्क़ मेरा हर वक्त तेरी मौजूदगी चाहता हूं,
सादगी तो देख मेरी मैं तेरे इश्क़ में संजीदगी चाहता हूं।-
जब भी की दिल से की है बंदगी हमने
फिर अदब से छुपाई है संजीदगी हमने
हमारा मुकाबला तुम क्या करोगे शाहो
हथेली पे रख के उडाई है जिन्दगी हमने।
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ये "अभिवाणी" ये आत्मज्ञान, आत्ममंथन ये सब तो "अभि" एक दिखावा है।
असली मक़सद तो इस तन्हा मुसाफ़िर को बस अपना दर्द लिख जाना है।-
दिल की सुनसान गलियों से एक मासूमियत क्या गुज़र गई
ज़रा सी हरक़त भर से मेरी संजिदगी की धज्जियाँ उड़ा गई-
तुम मुझे तोहफ़े नही, अपनी परेशानियां देना..
संजीदगी रखना इस जमाने के लिए, तुम मुझे अपनी अधूरी कहानियां देना ।।-
दिल-ए-नादान में उठते है कई सैलाब मगर
समंदर का संजीदा रहना ही वाजिब होता है-
# 06-05-2022 # गुड मार्निंग # काव्य कुसुम #
# समझ # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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ज़िंदगी में बहुत सी बातें समझायी नहीं जा सकती समझी जाती है।
ज़िंदगी में समझ विकसित कर लेने पर ही ज़िंदगी सहज हो पाती है।
अपनी ख़्वाहिशों को पंख लगाने के लिए बड़ी ही संजीदगी से जीना है-
ज़िंदगी जीने की परिपक्व समझ ही ज़िंदगी में ख़ुशियाँ लाती है।
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वादा-ए-वफ़ा हमसे बड़ी संजीदगी से कर रहे थे
तुम प्यार और फ़रेब एक साथ कैसे कर रहे थे....-