खिली क्षितिज से किरणें,जागीं भारत माता
स्वतंत्र खेल रही प्राची में,सूर्य दमकता उठा
सूर्य दमकता उठा,लिए नव आजादी के दिन
आजाद गगन में उड़ने को,आये हिंद के दिन
आये हिंद के दिन,रंगी मन आजादी से
शौर्य समर को निकले, बांध कफ़न सिर से
बांध कफन सिर से,लिये आजादी की टोली
खूँ से लिखते नाम , खेलते खूँ से होली
खेलते खूँ से होली, रणवीर रचे इतिहास
अतएव,रणवीरों में आज भी जीवित हैं सुभाष।-
कारगिल युद्ध में जीत दिलाने वाले वीर जांबाज योद्धा शहीद मनोज कुमार पांडेय के जीवन से प्रेरित एक कविता।
एक शहीद की गाथा-
शौर्य दिवस🚩
कभी क्रूर दरिंदे बाबर के कुशासन में,मनुष्यता पर खतरा छाया था..
जब मर्यादापुरुषोत्तम की आन पर,उस दुष्ट ने ग्रहण लगाया था..
एक पागल मुगल लुटेरे ने आकर,भारत के लाखों मंदिर तोड़े थे..
और रामजन्मभूमि के पावन स्थान पर,बाबरी ढांचा एक बनाया था..
सैंकड़ों वर्षों का कलंक वो ,सियासतों की सह पर पलता रहा..
संविधान बेबश होकर सत्ताधीशों के इशारों पर ढलता रहा..
हर रामभक्त हर सनातनी के दिल मे एक फ़ांस सी चुभती थी..
धीरे धीरे एक ज्वालामुखी सा रामभक्तों के दिल मे उबलता रहा..
फिर फूट पड़ा आखिर शैलाब,और दुनिया ने सर को झुकाया था..
लाखों रामभक्तों की अयोध्या में गूंजी दहाड़ और बाबरी को ढहाया था..
सादर नमन और श्रद्धांजलि है,उन सभी रामभक्त कारसेवकों को..
जिनके बलिदानों की बदौलत आज का दिन शौर्य दिवस कहलाया था..
🚩जय श्री राम🚩
6/12/2020-
कारगिल के विजयवीरों को वंदन सीना ताने
लढते लढते शहीद हुई थी ईश्वर की संताने
कारगिल की पहाड़ ऊंची
हमने तुमने कभी न सोची
उसी पहाड़ों में बसती हैं सर्दभरी चट्टानें
वही युद्ध का शंख बजा था
अमर वीरों का लहु गिरा था
देशभक्ती कें सागर में कुर्बानी दी है किस-किसने
लिखते लिखते रुके न स्याही
वीर वतन के वीर सिपाही
विजय दिवस की जयमाला ये गाते न थकती शौर्य तराने
- काव्यप्रथम✍️✍️
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राम के आंगन में बजी बजी बधाई की शंख,
शौर्य दिवस पर बज उठी हर दिल में अनोखी तान।
कहीं कारसेवकों ने दी जान, कहीं लहू बहा,
पर अडिग रहे हर कदम पर, सच्चे राम के भक्त।
कोठारी बंधुओं की वीरता, अमिट हो गई याद,
न कभी भूलेगा भारत, उनका बलिदान अपार।
निडर खड़े रहे उन्होंने, जहां बहा रक्तधार,
मंदिर वही बनेगा, यही था उनका सच्चा प्यार।
कल्याण सिंह का जज्बा, ढलते सूरज में चमक,
खड़ा था वो जड़-चट्टान सा, राजनीति के झंझावातों में।
धन्य है उसकी राह, जो टेढ़ी चली फिर भी न रुकी,
उसकी मेहनत, संघर्ष से रची राम की यश गाथा।
साधू-संतों के बीच, एक आस्था की कड़ी,
वे नहीं थके, न रुके, निरंतर एक ही विचार में।
प्रभु के चरणों की सेवा, जीवन के अद्वितीय लक्ष्य,
कभी भी न छोड़ी आस, कि मंदिर बनेगा जरूर।
और 6 दिसंबर का दिन, एक शौर्य दिवस था,
हर ह्रदय में उमड़ी एक क्रांति की जोश भरी गुस्से।
नारों में गूंज उठी, "राम लला हम आएंगे,
मंदिर वही बनाएंगे, यह अडिग विश्वास जागेगा।"
राम के इस संघर्ष में, सबकुछ था बेमिसाल,
भक्तों ने दी अपनी जान, फिर भी न हुई कभी विकल।
6 दिसंबर को याद करें, बलिदान का वो संदेश,
राम की मंदिर यात्रा अब साकार हुई है सच्चा प्रगति का रेश।-
यह भगवा रंग........ 🚩
हिंदू धर्म की जान है।
वीर क्षत्रियों का गुण गान है।
ब्राह्मणों का ज्ञान है।
वैश्य की व्यवस्था का समान है ।
सुद्र की सेवा का मान है ।
शौर्य दिवस का आज,
आप सभी को अभिमान है।
भगवा रंग हिंदू धर्म की जान है।
🚩शौर्य दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। 🚩
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सन् 1965 में आज के दिन खुद से कई गुना बड़ी दुश्मन ब्रिगेड को crpf india की छोटी सी टुकड़ी ने गुजरात की सरदार पोस्ट पर पराजित कर मिसाल बनाई l वीरगाथा की स्मृति में मनाए जाने वाले 'शौर्य दिवस' पर आप सबको बधाई व वीर शहीदों को श्रद्धांजलि।
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इतिहासों की बुज़दिली कहानियाँ, इन पन्नों में ही दबकर रह जायेगी
रक्तरंजित तलवारों की रवानियाँ, एक साथ सामने जब भी आएगी
इस एक सुनहरे से पन्ने को तुम, चीखकर काला अध्याय जो कह रहे हो
कर के रख लो भले निशानियाँ, स्वर्ण सी चमकने बाकि सब भी आएगी
#शौर्य_दिवस-