राम के आंगन में बजी बजी बधाई की शंख,
शौर्य दिवस पर बज उठी हर दिल में अनोखी तान।
कहीं कारसेवकों ने दी जान, कहीं लहू बहा,
पर अडिग रहे हर कदम पर, सच्चे राम के भक्त।
कोठारी बंधुओं की वीरता, अमिट हो गई याद,
न कभी भूलेगा भारत, उनका बलिदान अपार।
निडर खड़े रहे उन्होंने, जहां बहा रक्तधार,
मंदिर वही बनेगा, यही था उनका सच्चा प्यार।
कल्याण सिंह का जज्बा, ढलते सूरज में चमक,
खड़ा था वो जड़-चट्टान सा, राजनीति के झंझावातों में।
धन्य है उसकी राह, जो टेढ़ी चली फिर भी न रुकी,
उसकी मेहनत, संघर्ष से रची राम की यश गाथा।
साधू-संतों के बीच, एक आस्था की कड़ी,
वे नहीं थके, न रुके, निरंतर एक ही विचार में।
प्रभु के चरणों की सेवा, जीवन के अद्वितीय लक्ष्य,
कभी भी न छोड़ी आस, कि मंदिर बनेगा जरूर।
और 6 दिसंबर का दिन, एक शौर्य दिवस था,
हर ह्रदय में उमड़ी एक क्रांति की जोश भरी गुस्से।
नारों में गूंज उठी, "राम लला हम आएंगे,
मंदिर वही बनाएंगे, यह अडिग विश्वास जागेगा।"
राम के इस संघर्ष में, सबकुछ था बेमिसाल,
भक्तों ने दी अपनी जान, फिर भी न हुई कभी विकल।
6 दिसंबर को याद करें, बलिदान का वो संदेश,
राम की मंदिर यात्रा अब साकार हुई है सच्चा प्रगति का रेश।-
Gourav Tiwari
(गौरव शांडिल्य)
4 Followers · 5 Following
Joined 22 November 2021
6 DEC 2024 AT 11:50