दोस्ती की उम्र लंबी यूँ रहे हर उम्र यारों,
जैसे हो जन्मा वृक्ष पर कोई पर्ण नवजात।-
With thoughts like butterfly 🦋
My works :–
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" मजबूर* मजदूर "
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दिन दौड़ते..
दोपहर भागते..
शाम सोंचते..
और रात रोते..
यूँ ही कट जाता है,
हम मजबूरों* मजदूरों का जीवन।
हमने नहीं देखे,
सुनहरी सुबह
नहीं ली
दोपहरी की
चैन की नींद
न देख पायें
सुंदर संध्या
और न ही
देख पायें
जीवन का
सुंदरतम स्वप्न।
हम मजदूर,
सोंचते हैं.. सोते नहीं!
हम मजदूर,
भागते हैं.. भोगते नहीं!-
* खेल की राजनीति *
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सीमाओं पर,
सिपाहियों को गोलियां लगतीं हैं।
खेल में,
खिलाड़ियों की बोलियाँ लगतीं हैं।
अंतर मात्र इतना है
कि सीमाओं पर
सिपाही अपनी
जान देते हैं!
और खेल में
खिलाड़ी अपनी
भारी-भरकम टिप्पणी!
"हमें खेल को..राजनीति से..दूर रखना चाहिए।"
किस खेल को?
जहाँ बोली लगती है?
जहाँ बाज़ी लगती है?
जहाँ फिक्सिंग होती है?
जहाँ खरीद-बिक्री होती है?
जहाँ झणभंगूर राष्ट्र-प्रेम होता है?
या जहाँ मात्र राजनीति होती है?-
जैसे - जैसे बढ़ती है
घर से दफ्तर की दूरी,
वैसे - वैसे राहों में
खतरा गहराता जाता है।-
क्यों कपोलकल्पनाएँ कामनाएं काढ़ती हैं?
जब जीवन-चीर को त्यागना हीं धर्म है!-
इक़रार-ए-मोहब्बत करने को न ख़्वाहिश कोई हर्फ़-वर्फ,
जब हम तुम होते साथ-साथ वो लम्हा काफी होता है।-
एक कविता है जो केवल मुझको तुमसे मिलवाती है,
वर्ना इस जीवन में तो सब विरह में डूबा लगता है।-