हर तरफ थी फकत बात बरसात की,
तुम मिले आ गई रात बरसात की,
रात रुक ना तेरा इत्तेफ़ाक़ था या फिर,
थी कोई वो खुराफात बरसात की
आंधियों की तरह आयी, तूफ़ा सी फिर,
खो गई वो मुलाक़ात बरसात की,
गांव सूखे थे पर वो शहर खा गई,
इक यही है बुरी बात बरसात की-
बड़ी मसरूफ़ रहती है, जिंदगी शायरों की,
फुरसतों में भी वो, शब्दों के जाल बुनते हैं !-
तेरी बातो का कायल हूँ
तेरी नजरो से हुआ घायल हूँ
तेरी मोहब्बत का सुरुर चढा मुझपे इतना
तेरी आशिकी में बन गया शायर हूँ-
शायरों की हैं एक अलग ही दुनियॉं ,
जहाँ झूठ और फ़रेब मिट जाते हैं |
निकलते हैं शब्द हमारे दिल से ,
टूटे हुए दिल भी इनसे जुड़ जाते हैं |-
वर्तमान में जो
इतिहास को दोहरा दें |
जख्म़ी रू़ह को
जिस्म से दोबारा मिला दें |
जो हैं नहीं
उसे हकीकत बना दें |
हम वो शायऱ हैं ...
जो अपनी शायरी से
अपनी ही शायरी को अपना दीवाना बना दें |
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कहने को हूँ मैं शायर आला दर्जे का पर
ख़ुद की लिखी एक नज़्म तक नहीं याद है
एक वो है मुझे पढ़ने वाली 'क़ारी' जिसे
मेरी हर नज़्म का हर हर्फ़ बा-ज़बान याद है
मैं इश्क़ लिखता हूँ सफ़ेद सफ़हे पर बस
उसकी रूह के तो हर ज़र्रे में इश्क़ आबाद है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
गर फ़ना होने से डर लगता नहीं ए शायर....
तो मोहब्बत रूह से हुई है तुम्हें......।-
हर मर्ज़ का इलाज उसकी शायरी में है
शायर वो क्या हुआ के मेरा चारागर हुआ।-