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( पांचवां तत्व - आकाश .)
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कभी दोस्ती , कभी प्रेम, कभी हौसला तो कभी भक्ति बनकर . ..
अनंत युगों तक दिलों पर राज करना तुम सबकी चहेती बनकर . ..-
हर सांस में दम घुटता है अकेलेपन से इतने बेजार है ,
समझ में नहीं आता है कि खुदकी जगह किसे रख़ दे ।-
मेरी
दुनिया
देखने
के
लिए
तुम
सबको
अंधा
होना
पड़ेगा..
The Blind Girl . .. . . . . . . . . . . . Vanna .-
ये कैसा मंजर है बसेरा मेरे जहन में कर गया
लाशें चीखें अश्कों में मातम घुटन से मर गया-
🌿🌷 जिजीविषा 🌷🌿
कबतक कालिख लिखती ?
अब मै रोशनी लिखती हूं
चहकी हूं आशा की किरण से
महकी हूं नवप्रकाश के छुअन से
कबतक झुर्रियां लिखती ?
अब मै जवानी लिखती हूं
निखरी हूं योवन के स्पर्श से
खिली हूं नवजीवन के सौंदर्य से
कबतक यातनाएं लिखती ?
अब मै कहानी लिखती हूं
तृप्त हूं पवित्र प्रेम की प्यास से
जीवित हूं नवजिजीविषा के आस से-
मैं क्या लिखूं ?
उलझे हुए बाल
या बिखरे से खयाल
क्या लिखूं ?
टूटे हुए सपने
या मेरे झूठे अपने
क्या लिखूं ?
सूखे हुए किनारे
या अपाहिज सहारे
क्या लिखूं ?
रोती हुई आशाएं
या खोई हुई दिशाएं
क्या लिखूं ?
जीने की खिटपिट
या फिर रोज की किटकिट
मैं क्या लिखूं . ... ?-