कभी दोस्ती , कभी प्रेम, कभी हौसला तो कभी भक्ति बनकर . ..
अनंत युगों तक दिलों पर राज करना तुम सबकी चहेती बनकर . ..-
हर सांस में दम घुटता है अकेलेपन से इतने बेजार है ,
समझ में नहीं आता है कि खुदकी जगह किसे रख़ दे ।-
मेरी
दुनिया
देखने
के
लिए
तुम
सबको
अंधा
होना
पड़ेगा..
The Blind Girl . .. . . . . . . . . . . . Vanna .-
ये कैसा मंजर है बसेरा मेरे जहन में कर गया
लाशें चीखें अश्कों में मातम घुटन से मर गया-
🌿🌷 जिजीविषा 🌷🌿
कबतक कालिख लिखती ?
अब मै रोशनी लिखती हूं
चहकी हूं आशा की किरण से
महकी हूं नवप्रकाश के छुअन से
कबतक झुर्रियां लिखती ?
अब मै जवानी लिखती हूं
निखरी हूं योवन के स्पर्श से
खिली हूं नवजीवन के सौंदर्य से
कबतक यातनाएं लिखती ?
अब मै कहानी लिखती हूं
तृप्त हूं पवित्र प्रेम की प्यास से
जीवित हूं नवजिजीविषा के आस से-
मैं क्या लिखूं ?
उलझे हुए बाल
या बिखरे से खयाल
क्या लिखूं ?
टूटे हुए सपने
या मेरे झूठे अपने
क्या लिखूं ?
सूखे हुए किनारे
या अपाहिज सहारे
क्या लिखूं ?
रोती हुई आशाएं
या खोई हुई दिशाएं
क्या लिखूं ?
जीने की खिटपिट
या फिर रोज की किटकिट
मैं क्या लिखूं . ... ?-
सूरज से पहले जागी है
संग दर्द बदन में कल का है
अनसुना कर कमरदर्द को
मन चूल्हे के साथ जलने में उलझा है
सख्त सा वक्त उसे तोड़ेगा
उसे आज भी नहीं छोड़ेगा
सर पर लदे पत्थरों का बोझ
उसकी गरीबी से तो बेहद ही हलका है
रोई भी नहीं पर वैसे हुई है
रोज ही तो चुभती ये सुई है
बेटा पेट से भूखा उपर तड़का है
पसीना पैरों में अटके क्षीर सीने में भड़का है-