आँखों में ख़ूबसूरती नहीं
पर नज़र ख़ूबसूरत हो तो क्या बात हो
ख़ुशबू हवाओं में अब भाता नहीं
बस हवाएँ उस ओर से हो तो क्या बात हो
भले आसमाँ में चाँद नहीं
टिमटिमाती नज़रों में बसा एक वो चाँद हो
रातें ग़मगीन रहे कोई ग़म नहीं
रोज़ अकेली शाम में मेरे बस वो साथ हो-
18 DEC 2020 AT 23:39
5 JAN 2021 AT 20:18
सिली सिली शाम
भीगी भीगी रात।
हाथों में उनका हाथ,
कुछ पल का वो सुनहरा साथ।
नज़रों से हुई दिल की हर बात,
थी कुछ ऐसी हमारी वो मुलाक़ात।
वो साँसों की रफ़्तार का बढ़ना,
दिल धक-धक उनके नाम से करना।
असंभव को संभव में बदलकर,
ख़ामोश इश्क़ का उन अंजाम तक जाना।
ये इश्क़ नही उससे बढ़कर है कहीं,
जिसका नाम दुनिया ने अबतक न जाना।-
30 JUN 2020 AT 20:18
लगता है उनकी गुफ्तगु की महफ़िल
कही और लग गई है और हम यहां उनके
इंतज़र में शामे गुजार रहे हैं....💔-
29 JUN 2020 AT 19:03
इक चिठ्ठी थी..
इक पता था,
पऱ उसका जबाव
..क़भी नहीं आया,
दिल के शहर में
वो एक ही बसता था,
औऱ मैं उसे भी.. ढूंढ नहीं पाया..!-
21 APR 2020 AT 19:31
सुना है मयखाने में शामे गुजारी जा रही है हाथों में जाम लिए क्या उसे भूलने की कोशिश की जा रही है जिस पर कभी मरते थे या उसे जिसे एक पल भी ना लगा मुंह मोड़ने में......💔
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