तुम कितने चंचल हो
तुम कितना मचले हो
साथ में तो लगते ही हैं दिन बँधन के
ओ साथी मन के
बता दो जरा यह बात
क्यों देते हो हमें तुम मात
याद तो होंगे तुमको भी दिन विरहन के
ओ साथी मन के
मान लो हमारी यह बात
रहा करो इस पल में साथ
तुम ही तो दीपक हो हमारे आँगन के
ओ साथी मन के
सात जन्मों का वादा तो नहीं
इस पल का इरादा ही सही
इस पल तो तुम ही अमृत हो जीवन के
ओ साथी मन के
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