QUOTES ON #शांत

#शांत quotes

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27 AUG 2020 AT 23:41

शरीर पर लगे घाव का उपचार औषधि कर सकती है
पर मन की व्यथा का उपचार सिर्फ़ शांत मन से संभव है

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22 DEC 2019 AT 9:44

मन को शांत रखने की ख़ातिर
निकला हूँ मैं मिलने की ख़ातिर

ज़िन्दगी ख़ूबसूरत होती है देखो
वक़्त बहुत है जलने की ख़ातिर

इश्क़ हो जाएगा मिलो तो सही
इश्क़ है नहीं छलने की ख़ातिर

दिल में सबको बसाओ "आरिफ़"
ज़ख्म बहुत हैं सिलने की ख़ातिर

"कोरे काग़ज़" पर लिखो ख़ुशियाँ
कलम बहुत हैं चलने की ख़ातिर

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सबसे मजबूत रूप मेरा
इससे उत्कृष्ट कुछ नहीं मेरा..

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तुम कितने चंचल हो
तुम कितना मचले हो
साथ में तो लगते ही हैं दिन बँधन के
ओ साथी मन के

बता दो जरा यह बात
क्यों देते हो हमें तुम मात
याद तो होंगे तुमको भी दिन विरहन के
ओ साथी मन के

मान लो हमारी यह बात
रहा करो इस पल में साथ
तुम ही तो दीपक हो हमारे आँगन के
ओ साथी मन के

सात जन्मों का वादा तो नहीं
इस पल का इरादा ही सही
इस पल तो तुम ही अमृत हो जीवन के
ओ साथी मन के

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23 SEP 2020 AT 23:40

रात्रि में व्याप्त है
वेदनाओं से भरे
रुदन के प्रचंड स्वर
पूर्ण होने को भागती
दबी जकड़ी इच्छाओं की ध्वनि
मूक चीख-पुकार...

सब अश्रव्य हैं या फिर
परे हैं श्रव्य क्षमता से
इन्हें सुने जा सकने के अभाव में
'शान्त' मान लिया जाता है
'रात्रि' को

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22 DEC 2019 AT 10:03

Mann Ko Shant Rakhe
Jab Koi Mushkil Waqt Samna aaye
Kyonki man Shant rakhne se
Sare mushkil kam aasani se Ho Jaate Hain

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ये सूनी शामें
और शांत दोपहरें
तुम्हारे बेग़ैर
सुनो, खलती बहोत है !

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22 DEC 2019 AT 8:37

और नहाने से दूर रहे 😂🤣

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20 JAN 2024 AT 20:54

हम ख़ामोशी से खेलते रहेंगे समंदर की लहरों की धार में
कभी तो बहते-बहते साहिल से टकरा ही जाएंगे इस बहाव में

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22 DEC 2019 AT 9:54

अरे मूरख मन तू मृगतृष्णा सा क्यों हो जाता।
जग की झूठी अभिलाषाओं में क्यों खो जाता।
तू सपनों में क्यों बाग लगाता।
क्योंआशाओं से सिंचित करता।
फिरआपेक्षायों की जड़ें जमाकर।
क्यों खुद को ही विचलित करता।
अरे मूरख मन तू मृगतृष्णा सा क्यों हो जाता।
जग की झूठी अभिलाषाओं में क्यों खो जाता।
देख रहा जो आगे खुशियाँ।
ये सब झूठी हैं आभासी हैं।
तू इनको पाने की चाहत में।
सिर्फ दुखों का जाल बुन रहा।
रे मूरख अब तू स्थिर हो जा।
तू अपने अंन्तस में ही खो जा।
अरे मूरख मन तू मृगतृष्णा सा क्यों हो जाता।
जग की झूठी अभिलाषाओं में क्यों खो जाता।

प्रधुम्न प्रकाश शुक्ला

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