मोहब्बत ने तुझे निकम्मा बना दिया
वरना आदमी तो तू कामकाजी था!😊-
Tea n music lover
Live in Gaziyabad
प्रिय रस श्रृंगार रस
लेखन (संयोग और वियोग )
As ... read more
प्रीत का झरना
बनकर आए
आज प्रिय
तुम मिलने मुझसे
मैं बनकर
इठलाती नदिया
प्रेम में तेरे
तुझसे मिल गई।
-
साथ में मेरे है चल रहा
एक काफिला
उस काफिले में भी है
मेरा दिल यह अकेला।-
जैसे प्रतीक्षा में मेरे कितने जन्म गुजरे हों।
फिर से तेरा पुनर्जन्म हो और तू मेरा हो।।-
सुनो!
क्यों आते हो
तुम लेकर
अपनी इच्छाएं
इतनी अपेक्षाएं
क्यों तुम करते हो
मुझसे
यह जानते हुए भी
कि मैं सब जानती हूं
तुम्हारे मन के भाव
और तुम भी
जानते हो
मेरे मन के
सारे भाव
तुम जानते हो
हूं मैं स्वाभिमानी
छोड़ देती हूं
हर वो चीज
जो बंटी हुई हो
क्योंकि मुझे
भिक्षा नहीं पसंद है
फिर भी क्यों
तुम अपनी
इच्छाओं की
पूर्ति के लिए
मेरे पास आते हो?
-
कितने मयखाने उतर आए थे उसकी आंखों में
मैं देखते ही उसको मदहोश होने लगती थी...-
वो आम सी लड़की कितनी खास थी उसके लिए।
मोहब्बत ही नहीं उसकी वो जान थी उसके लिए।।-
मैंने छुपाया था अपनी नज़र में उसको
फिर भी जमाने की उसको नज़र लग गई।-
हर शाम वो आता था
एक झलक मेरी देखने
लेट कर वो पुल की मुंडेर पर
एकटक मुझे निहारने-