एक तलब तेरी आगोश की
है तुझसे ख्वाइश सुकून की
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मैं शांत समंदर सी 'सहर'
(Sunita ❤️ K ❤️🗒🖋)
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18 May 🎂
Tea n music lover
I love cooking
प्रिय रस श्रृंगार रस
लेखन (संयोग और वियोग )
मेरी ल... read more
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Joined 7 July 2022
3 SEP AT 19:21
तोहमतें कितनी लगाई
मेरे वजूद पर
जब बारी खुद की आई
बहाना अश्कों का
क्या खूब आया है-
1 SEP AT 15:47
कब से सूनी थी तुम बिन अंखियां मेरी
प्रीत के काजल से सज गईं पलकें मेरी-
1 SEP AT 10:26
आ भीग ले मोहब्बत की बारिश में हम दोनों
फिर मिलेंगे यह भादों अगले बरस हमें भीगने को-
29 AUG AT 18:17
खिला कभी अपने हाथों से पानी पूरी
तेरे हाथों के चटखारों की तलब जो है-
29 AUG AT 18:14
हृदय तरंगों में झंकृत होता तुम्हारा प्रेम
इस देह पर सौंदर्य के राग छेड़ जाता है...-
25 AUG AT 12:36
झर रही है देखो शाखाें से रोशनी चांद की
बिखरा दी है कदमों में उसने चांदनी फूलों की-
23 AUG AT 17:51
यह वसन
बन लिपटा है
जल देह पे
मेरी.....
मूंद के नैना
मैं बस
छवि निहारूं
तेरी.....-