थमा गया मेरे हाथ में वो कोरा काग़ज़
शर्त ये है कि इसे पढ़ना है मुझे-
सजल जीवन की सिहरती धार पर,
लहर बनकर यदि बहो, तो ले चलूँ
यह न मुझसे पूछना, मैं किस दिशा से आ रहा हूँ
है कहाँ वह चरणरेखा, जो कि धोने जा रहा हूँ
पत्थरों की चोट जब उर पर लगे,
एक ही "कलकल" कहो, तो ले चलूँ
मार्ग में तुमको मिलेंगे वात के प्रतिकूल झोंके
दृढ़ शिला के खण्ड होंगे दानवों से राह रोके
यदि प्रपातों के भयानक तुमुल में,
भूल कर भी भय न हो, तो ले चलूँ
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'एहसास' शदीद हो गया तेरे जाने से वादा है पिघलूंगा नहीं
बस शर्त इतनी है तू बे-हिज़ाब कभी सामने मत आना-
ढूंढ कर देख लेना हम जैसा कोई
शर्त रही
खोज हम पर ही आकर खत्म होगी
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शुरू हुई ज़िन्दगी हर रोज़ सुबह कुछ शर्तों के साथ,
औऱ चली गयी शाम को देकर तज़ुर्बे कुछ ख़ास!-
अब तू जा मुझे छोड के या मैं जाऊँ तुझे छोड़ के..
शर्त सिर्फ एक ही है..
फिर कभी ना मिले किसी मोड़ पे...
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✍🏻शर्तों में कब बांधा है तुम्हें,
ये तो उम्मीद के धागे है,
कभी आप बेपरवाह,
तो कभी हम बेपरवाह।-
'शर्त ए इश्क'
हर दिन बात हो ये ज़रूरी तो नहीं लेकिन शर्त ये है कि जब भी बात हो ऐसे हो कि जैसे पहली बार हो.
हरदम साथ रहेंगे ये तो पक्का नही है यार मेरे लेकिन शर्त ये है कि जब भी मिले ऐसे मिलना कि कभी बिछड़े न हो.
हमसफ़र बनेंगे कि नही ये तो रब जाने लेकिन शर्त ये है कि सोलमेट्स आज भी है और कल के बाद आने वाले कल में रहेंगे जो भी हो रिश्ता बस वहीं हो.
जिस्म किसका किसको मिलेगा किसने देखा है लेकिन शर्त ये है कि रूह एक दूसरे का था है और सारी जिंदगी रहेगा इस पर और किसी का हक़ नही हो सकता हमारा भी नहीं
मुलाकात का तो पता नहीं है कि फिर कब हो लेकिन शर्त ये है कि जब भी याद करो तो ऐसे करो कि एक साथ होने वाली एक पल में फकत एहसास ए हालात हो.-
ये सफ़र दोनों का है ये जानते हो तुम भी पर
हर कदम मैं ही बढाऊँ ये भला क्या शर्त है?-