कलियुग को बनने न देंगे त्रेता
चाहे हों भक्त या बैरी ये नेता
संसद की कुर्सी, शकुनि वा विदुर सी
यम से पूछ रहा नचिकेता-
// शकुनि और मंथरा की प्रेम कहानी //
शकुनि, ध्रतराष्ट्र से कहते हैं कि दुर्योधन के राज्याभिषेक का मैंने हर जतन किया और करता रहूंगा।मगर एक निवेदन है कि मेरा विवाह, अयोध्या की दासी,मंथरा से करा दें। क्योंकि वैचारिक समानता होने के कारण,हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे हैं।
उधर मंथरा भी केकैयी से कहती है कि भरत को राजा बनाने के लिए मैंने हर जतन किया और बुरी भी बन गई। इसके बदले में, मैं सिर्फ़ इतना चाहती हूं कि आप मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार कर, मुझे शकुनि से मिलवा दें। मगर ध्रतराष्ट्र और केकैयी, इसमें असमर्थतता जताते हैं। दोनों अपना राज्य छोड़कर, जंगल में ऋषि- मुनियों की शरण में चले जाते हैं और उनके सानिध्य में ही अपने प्यार को परवान चढ़ाते हैं।😃-
माना महासमर सा है ये जीवन
कौरव बन के दुनिया सामने खड़ी है
परिस्थितिया है कि शकुनि
की तरह दांव पर दांव चल रही है
तो क्या गम, तुम कहा किसी से कम हो
तुमने भी तो गीता पढ़ी है
सामना तो करो समर का
साहस का अपने शंखनाद कर दो
विजयश्री तुम्हारे वरण को खड़ी है
चलो शौर्य हृदय में जगा लो
भुजाओं में तुम्हारी शक्ति प्रबल है
हुंकारों कि गगन गूंज जाये सहम कर
विजयी बनो धर्म के रथ पे चढ़ो तुम-
कुछ लोग आपकी मदद करते है
कुछ आपकी मदद नही करते है
कुछ आपका बुरा चाहते है
तो कुछ आपका बुरा करते है।
फिर आते है सबसे महान लोग
जो न खुद मदद करते है और
जो आपकी मदद करना भी चाहता है
ये उसको भी मदद नही करने देते है।
आपके खिलाफ चक्रव्यूह का षड़यंत्र रचते है
फिर अभिमन्यु को मार चुपके से हंसते है
कुछ लोग दुर्योधन भी होते है
जो अपने होके भी शत्रु होते है
तो कुछ शकुनी से भी शातिर होते है
जो रामायण वाली ज़िन्दगी में भी
महाभारत छेड़ देते है।-
मुझे दुख है की हमारे भारत में एक गांव से चलकर मुम्बई तक अपने दम पर रास्ते बनाने वाली, एक मुकाम पर पहुंचने वाली लड़की का 15 साल का सपना कल केवल इसलिए तोड़ दिया जाएगा क्यूंकि उसने ठाकरे के सिस्टम, सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाया
राउत...ओ राउत, याद रख सपने भले तोड़ दे, हिम्मत नहीं तोड़ पायेगा....!!!-
आगाह थे हम शकुनि इश्क के दाँवों से
दिल युधिष्ठिर था मगर, हारता चला गया-
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धृतराष्ट्र राजा भए, विदुर ज्ञान लाचार।
दुर्योधन की आड़ ले, करे शकुनि वार ।।
कौन कहे किसको, विनय कहे हर बार ।
गूंगे और बहरे भए, विनय सभी दरबार ।।-
कलयुग भी क्या खूब कहर मचा रहा........
देश चलाने वाला...........
सड़क किनारे पड़े रात बिता रहा......
सरकार चलाने वाला......
Ac मे आराम से बैठ.....
वादों मे विकास करा रहा.....-
सामने वाले से इतना जलो की तुम्हारी रूह जलकर भस्म हो जाए पर अपनी रूह से उठते हुए धुँए की सामने वाला को भनक मत लगाना।
(शकुनि के विचार)-