वो नर्म लता सी ,तू वट विशाल सा
तुझ से लिपट व्यवस्थित थी वो
असमय बवंडर ,उखड़ा वट वृक्ष
बिखर गयी वो नर्म लता भी
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13 DEC 2020 AT 16:49
7 NOV 2020 AT 15:39
कुछ भी तो नहीं है व्यवस्थित।
सब बिखरा हुआ है।
कहीं मैं, कहीं तुम
और कहीं हमारा प्रेम।-
7 NOV 2020 AT 15:50
कुछ भी तो नहीं हैं अव्यवस्थित
सब कुछ सिमटा हुआ हैं
मुझ में तुम , तुम में मैं
और दोनों में प्रेम-
29 MAY 2021 AT 16:04
तुम्हें रिझाने जैसी कोई बात भी नहीं है,
न जाने क्यों, कर वही रहे हैं जो तुम्हें पसंद है।-
12 AUG 2017 AT 23:59
करके तुम्हें व्यवस्थित
हृदय है मेरा चिंतिंत
वृध्दाश्रम के सपने
क्यूं आंखों में चित्रित..!!!
💘-
5 SEP 2021 AT 8:39
बिखरी हुई जिंदगी के कारवां को थोड़ा व्यवस्थित तो करो,ये जिंदगी किसी को समर्पित तो करो, फिर देखो दुनिया कितनी हसीन होगी
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27 SEP 2022 AT 8:42
मैं उनके हृदय में अवस्थित नहीं हो पाया..!
क्योंकि,
उनके अनुसार मैं व्यवस्थित नहीं हो पाया..!!-