Raghuwar Choudhary   (रघु)
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मातृभाषा के स्नेह, ममत्व के आगे जीवन का कोई उद्देश्य शेष रह ही नहीं जाता!
Joined 1 December 2019


मातृभाषा के स्नेह, ममत्व के आगे जीवन का कोई उद्देश्य शेष रह ही नहीं जाता!
Joined 1 December 2019
28 NOV 2024 AT 22:45

मैं जब जब तेरे नजदीक गया,
ना जाने क्यों मुझसे दूर हुई !
शायद, यह रब की मर्जी ही है,
दूर होकर भी तू मेरी फितूर हुई !!

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17 AUG 2024 AT 12:28


मति मारी गई है ममता की,
खाक बात करेगी समता की?

कब तक सोया रहेगा देश~प्रधान
सब जानते क्यों नेतागण अंजान?

जब महिला डॉक्टर से भी होता है अनाचार,
तब कैसी गति है प्रशासन और सुरक्षा की?

शीघ्रतम~कठोरतम दंड का क्यों नहीं विधान,
क्यों बात होती है केवल आत्म मुग्धता की?




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14 FEB 2024 AT 8:21




युवाओं के सामने बड़ा विकट है काज,
ज्ञान और जान का महाद्वंद्व है आज!!

" ज्ञान vs जान"

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22 DEC 2023 AT 8:05

ना कोई चिंता, ना कोई भय
तुमसे है, तो फिर है !!

ना कोई द्वंद्व, ना कोई संशय
तुमसे है, तो फिर है !!

अब ...
ना कोई मंथन, ना कोई राय
तुमसे है, तो फिर है !!

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12 DEC 2023 AT 21:16

छू मंतर होता है सब चिंतन मनन,
जैसे तुम्हें याद करने लगता है मन..!

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4 DEC 2023 AT 13:26

नित द्वंद्वों को पन्नों पर लिखता रहा हूं ,
फिर भी मैं वाजिब सा दिखता रहा हूं!

समन्वय का दूसरा नाम ही है जीवन..
इसलिए सिमटता~ पसीजता रहा हूं!!

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30 NOV 2023 AT 0:47

डरता हूं अक्सर प्यार में पड़ जाने से,
क्योंकि..
बहुत समर्पण चाहिए उसे निभाने में !!

सिर्फ इजहार और स्वीकार्य काफी नहीं..
उम्र बीत जाती है समझने~समझाने में !!

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21 NOV 2023 AT 22:21

झेला है दुःख मैंने हृदय~विदारक,
तेरा निरुत्तर रहना तुझे मुबारक!

तेरी यादों का आज पिंडदान करके,
लो मैं हुआ ... स्वतंत्र कर्ता कारक!!

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17 NOV 2023 AT 14:52

वह कहती है उसे काम बहुत है,
मुझे लगता है मेरा नाम बहुत है,,
फ़लसफ़ा...
सपना पूरा करने के लिए,
यह सुबह~शाम बहुत है।

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15 NOV 2023 AT 19:22


तुम्हारे बहाने फिर से लिखने लगा हूं,
अरसे बाद अच्छा मैं दिखने लगा हूं।
रोजमर्रा की चीजें अब लगती नयी सी,
भागा भागा था फिरता, अब टिकने लगा हूं।।

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