~लोगों ने~
इश्क़ को आज - कल व्यवसाय बना रखा है,
जीते जी मारने वाला हथियार बना रखा है।
आज - कल लोगों ने, इश्क़ को व्यापार बना रखा है,
जहां बिकते रहें जज़्बात, ऐसा बाज़ार बना रख हैं।-
व्यवसाय
भारत की भूमि पर कदम रखते ही आनन्द ने सोचा कि इन छुट्टियों के दिनों में अपनी पुश्तैनी जमीन,गांव के नाते,बचपन के दोस्तों को तलाशने के साथ वह अपने पुराने स्कूल भी जाएगा।
मोहनपुर पहुँच कर स्कूल के रास्ते पर वह करीब सोलह वर्षो बाद चल रहा था।कई मोहल्लों में अच्छे खासे मकान बन चुके थे।बाज़ार और होटलों की तादाद बढ़ चुकी थी।स्कूल की जगह एक बड़ा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स देख वह ठिठक गया।उसे अच्छी तरह याद था कि स्कूल के प्रांगण में एक विशाल आम का पेड़ था जिसकी डालियां सड़क तक फैली थी।क्या स्कूल कहीं अन्यत्र शिफ्ट कर गया? यदि हाँ तो फिर आम का पेड़ किधर गया।तभी स्कॉर्पियो से उतरते हुए उसे हेडमास्टर अवधेश बाबू नज़र आए। व्यक्तित्व शिक्षक से हटकर एक ठेकेदार या बिल्डर की तरह। उनके समीप पहुंच कर उसने उनके चरण छूए और कहा,'सर, मैं आपका स्टूडेंट, दसवीं का टॉपर आनन्द हूँ। स्कूल के बोर्ड पर भी आपने मेरा नाम अंकित किया था।'
अवधेश बाबू ने कहा, 'यह तो पन्द्रह साल पुरानी बात हो गई। कस्बे के तेजी से विकास के साथ होटल और मॉल खुलने लगे तो सोचा क्यों न शॉपिंग मॉल खोल दिया जाय। हाँ, पांचवे तल्ले पर एक कोचिंग इंस्टीट्यूट भी खोल दिया है।जाकर देखो, सफल विद्यार्थियों के नामों की सूची में शायद तुम्हारा नाम भी हो।'
लौटते वक्त उसे लगा कि उसके सर से आम के पेड़ की छाया हट चुकी है और वह तेज धूप में परपट मैदान में अकेला खड़ा है।-
व्यवसाय एक दोहराई जा सकने वाली प्रक्रिया है, जो निरंतर पैसे कमाती है। बाक़ी हर चीज़ एक शौक है।
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✨✨परदेशी मेरा छोटा भाई एवं व्यवसाय✨✨
मुर्गे के बोलने के पश्चात चिड़ियों का चहचहाना
ठीक शुरू ही हुआ था कि मेरे भाई का घर आना।✨
घर के बीच आंगन में मैं अकेला था कि उसका आना
✨ मेरी गोद पर सिर रखकर कुछ देर तक सो जाना।✨
बिना बताए सहसा दस्तक देकर मुझे सदमा दे जाना।
पल भर के लिए समां का थम जाना, मेरा डर जाना।✨
नटखट शैतान, सुधरा नहीं था, न जाने किस जगह था परदेश में ठिकाना।✨
मासूमों सा चेहरा, उम्र सत्ताइस की पर हरकतें तो अब भी वही बचकाना।✨
सबकी नजरें उसी पर टिकी थीं कि कब सुनाएगा ये अफसाना।✨
सबका लाडला मेरी अक्सर मुँह की खाता और उसी का दीवाना।✨
जब नींद खुली तो खुशियों से माहौल में चमक भी नई दिखने लगी थी।✨
नया व्यवसाय और अब जीवन उसकी कहानी जो नई लिखने लगी थी।✨-
व्यवसाय हो या रिश्ता दोनो भरोसे पे चलते हैं,
जब चलाना या निभाना आपके बस की न तो बिना
किसी commitment हट लो वहा से क्योंकि
यह सिर्फ व्यवसाय और रिश्तों को ही नही तोड़ती कभी-कभी उस इंसान को भी तोड़ देती है जो आप पे भरोसा करता हैं।-
बाहिर दुनिया के व्यवसाय इतने नही
जितने अंतर मन ने ढूंढ लिए हैं
ये दुनियां यूंही बोलती है
ख़ाली बैठे सोचते हैं-
औरों की तरह ही थे कभी,
लक्ष्य नहीं था कोई कभी,
जब से खुद को पहचाना,
मंज़िल आई नज़र अभी।
अब यों चलना सीख लिया,
पीछे मुड़ना नहीं हुआ कभी,
लक्ष्य समझ कर ही अपना,
कारवाँ पर चल पड़े अभी।
दूर चाहे है बहुत ही मंज़िल,
नभ देख धरा से जुड़े अभी,
सीख गये अब आगे बढ़ना,
चलने से पहुँचेंगे पास कभी।
दिख रहा नहीं कुछ और तुम्हें
दिख रही मीन की आँख अभी,
पाना है अब सब कुछ सम्भव,
परिश्रम से ही बढ़ना है अभी।
गणित अध्यापन व्यवसाय हो,
और लेखन तो चल रहा अभी,
बस यों ही कदम रहें तुम्हारें,
जैसे जैसे चलते जा रहे अभी।-
जिंदगी में दो सबसे महत्वपूर्ण निवेश अवश्य करने चाहिए। पहला निवेश शिक्षा व स्वास्थ्य में और दूसरा निवेश व्यवसाय में करना चाहिए।
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जो विकणार तोच टिकणार
आणि आजच्या या तिव्र स्पर्धेत
जो टिकणार तोच जिंकणार-