ANAMIKA GHATAK 25 JAN 2019 AT 15:29 मैं राजनेताओं के लिए आतंक हूँमतदाताओं की ताकत हूँपर जनता प्रलोभन में आ जाये तोपरिस्थिति में इसकी उलट हूँमैं वोट हूँ - Pulkit Sharma✍️ 23 APR 2019 AT 13:40 नेताओं की चीख में खामोशी का मधुर राग हैलोकतंत्र में उंगली पर ये सबसे स्वच्छ दाग है।। - Vihaan 25 JAN 2018 AT 6:52 मेरे मज़हब ने ही मुझे यहाँ सबसे ज्यादा चोट दिया ।हर किसी ने जात पूछा और फिर जाकर वोट दिया । - Vihaan 5 FEB 2018 AT 2:10 मेरे मज़हब को जब चाहो, तुम आकर नंगा कर देना ।थोड़ा और वोट चाहिए हो तो फिर एक दंगा कर देना । - Vihaan 16 MAY 2018 AT 6:50 कोई नही पहुंच सका अवाम के इंतकाल पर,दब चुकी है न ये लाशें, अब वोट कहाँ दे पाएगी। - Ruv Adhana 25 JAN 2019 AT 16:10 "व्यंग्य" मैं(वोट) राष्ट्र स्तरीय नेताओं कोमलिन बस्ती में भोजन का अवसर प्रदान करती हूँ😶 - Rishu Anand Mridula 25 JAN 2019 AT 14:14 । मैं वोट हूँस्थापित पे एक चोट हूँ,परम्पराओं की ओट हूँ,बिक गया तो नोट हूँ,खल गया तो खोट हूँ,ख़ुशी से लोट पोट हूँ,लिख गया तो कोट हूँ,हुक्मरानों की निगाहों मेंमैं तो केवल एक वोट हूँ - Stuti 22 APR 2021 AT 10:22 कोई "व्यक्ति" मरता है तो उस पर होता है "शोक",पर जब वो व्यक्ति, "एक व्यक्ति" से बन जाता है "सरकारी आंकड़ा" तो उस पर शोक नहीं बस होता है "बहस",और वो बन जाता है "मरे हुए शरीर" से "अगले चुनाव" में "वोट बटोरने "का "मुद्दा"..!!! (:--स्तुति) - Vihaan 2 NOV 2017 AT 13:20 मजहब पूछ कर आज फिर चोट दे गया।रोटी देने आया था और मेरा रोट ले गया।काजू-बादाम-पिस्ता दिखा अख़रोट दे गया।झूठे वादे करके फिर वो मेरा 'वोट' ले गया। - Gaurav Singh Gaurav 24 SEP 2020 AT 10:59 #वोट बैंक # (लेख अनुशीर्षक में पढ़ें) : गौरव -