Rishu Anand Mridula   (ऋषु आनन्द मृदुला)
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Joined 22 May 2018


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Joined 22 May 2018
13 JUL AT 23:47

मुझे रहने दे अँधेरों में मेरे अज़ीज़ दोस्त,
यहाँ लोगों के चेहरे साफ़ नज़र आते हैं।

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9 MAR AT 19:47

सिफ़्र है सफ़र हमसफ़र के बिना,
अधूरा हर क़िस्सा मगर के बिना,

सफ़र में है क़िस्सा, मगर तू नहीं।

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4 AUG 2024 AT 11:30

दोस्ती सुकून है, जुनून है,
कभी बहुत गम्भीर कभी कार्टून है,

आगे बढ़ने का हौसला और
बहकने पर सियासत-ए-मुदुन है।

दोस्ती को समेटना चाहूँ लफ़्ज़ों में अगर,

ज़िन्दगी के जिस्म में बहता ख़ून है,
मेरी हर कहानी का मज्मू' है।

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11 APR 2024 AT 19:29

थोड़ा सा स्लो ज़रा सा ब्रिस्क,
ब्लिस के साथ ज़रा सा रिस्क।

ब्यूटीफुल और इटरनल भी है,
हम तुम और इश्क़-ही-इश्क़।

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25 JAN 2024 AT 19:07

राम आए हैं आए हैं राम आए हैं।।

(पूरा भजन कैप्शन में पढ़ें)

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4 OCT 2023 AT 10:28

अजीब चीज़ है ये दुनिया, हर बात पर देती है ताना,
घर में रुके हो तो निठल्ला, निकल पड़ो तो आवारा।

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2 APR 2022 AT 2:37

कविता जो लिखी नहीं अब तक,
क्यूँकि वो मिली नहीं अब तक।

उसका चित्रण कैसे कर पाऊँगा,
खिड़की वो खुली नहीं अब तक।

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1 APR 2022 AT 0:25

मैं यहाँ-वहाँ नग्में-तराने ढूँढता रहता हूँ,
नए-पुराने कुछ अफ़्साने ढूँढता रहता हूँ।

मैं भी हूँ भीतर से बिल्कुल तुम्हारे जैसा,
ना सोने के नए बहाने ढूँढता रहता हूँ।

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24 JAN 2022 AT 21:04

दुआ है जहान के अपनेपन में साद रहूँ,
नई पौध के लिए मिट्टी-पानी-खाद रहूँ।

हक़ीक़त जो जैसी है सबके सामने है,
कम-से-कम ख़्वाब में तो आबाद रहूँ।

सामने हूँ तो सब की नज़र मुझ पर है,
काश! किसी के मन में जाने के बाद रहूँ।

अकेलेपन में सब को याद आता हूँ मैं,
कोई हो जिसको भीड़ में भी याद रहूँ।

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19 DEC 2021 AT 21:19

कुछ इस तरह हमारे इश्क़ का शबाब होना था,
मुझको सिर्फ़ तुम्हारा पसंदीदा ख़्वाब होना था।

हमारे सफ़र में हमसफ़र हैं जाने कितने सवाल,
दोनों को एक-दूसरे का सटीक जवाब होना था।

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