जब मां बच्चे से लाड़ लड़ाती है,
जब मां बच्चे को खाना खिलाती है...
तब बनती है स्वभाविक कविता...
(कृपया पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें)-
21 MAR 2020 AT 19:56
21 MAR 2020 AT 16:55
कविता गढ़ती है जीवन को,
कविता गढ़ती है तन मन को।
कविता रचती है संयम को,
कविता रचती है धीरज को।
कविता देती है ढंग विरोध का,
कविता देती है सुर विरोध को।
कविता जनती है इंकलाब को।
कविता गढ़ती है जीवन को।।-
21 MAR 2018 AT 18:25
कल गोरैया का दिन था,
आज कवियों का दिन है।
एक दिखाई नहीं देता
दूसरा पहले के आसरे दिखता है,
कविता ही दोनो का आसरा है।-
21 MAR 2018 AT 10:42
मसरुफियत में भी जो दस्तक देती है
चाय की चुस्कियों संग
सुनो वो तुम ही तो हो
ऐ मेरी कविता-
21 MAR 2018 AT 14:39
"कविता"
कविता को कवि की करामात कहूँगा।
कमाल की कोई कल्पना कहूँगा।
कारीगरी कहूँगा कलम की।-
21 MAR 2021 AT 17:47
★कविता★
तू सखी, तू सुधा,
तू अमृत का पान;
तू दीपक, तू संबोधि,
तू ईश का वरदान;
तू बसंत, तू मल्हार,
तू आत्म का गान;
तू शक्ति, तू भक्ति,
निज का सम्मान 💕
-Parijat-
21 MAR 2021 AT 0:13
"विश्व कविता दिवस"
के उपलक्ष्य में, आप सभी कवि-कवयित्रियों को
बहुत-बहुत बधाई।
💐💐💐
रचना अधोलिखित भाग में पढ़ें...-