हमारी फ़िक्र करो कि हम कहॉं जाएंगे
फूलों का क्या है वो तो मुरझाएंगे-
वक़्त भरता है कब किसी ज़ख़्म बताओ तो भला
हर ज़ख़्म ही अपना यहाॅं नासूर हुआ जाता है-
सुनो! तुम मेरे लिये अनदेखे-अन्जान हो
मैंने कभी नहीं देखा तुम्हें,ना ही ढूंढ़ा कभी
मैंने कभी कोई सपना नहीं देखा,ना सजाया
ऐसा करो तुम देख डालो मेरे हिस्से के सपने
आ जाओ कभी ढूंढ़ते हुए मेरे दर तक
जैसे कभी आये थे "आदम" "हव्वा" तक
और जब तुम आओ मुझ तक या सोचो आने का
तब प्यार भले ही कम लाना...हो विश्वास पूरा
मैं ऐसे घर की...ऐसे साथ की कल्पना करती हूॅं
जिसकी नींव विश्वास हो...समर्पण हो...
मैं चाहूॅंगी कि हमारा जीवन उज्ज्वल हो
विश्वास की चॉंदनी और दुआओं की महक से
मेरे मन का मंदिर गूॅंज उठे तुम्हारी आहट से
बनो तुम प्रथम और अन्तिम देवता मेरे हृदय के
तुम्हारे प्रवेश मात्र से प्रकाशित हो जाये
मेरी आत्मा,मेरा हृदय,मेरा संसार
हो पूजने का अधिकार तुम्हें सिर्फ और सिर्फ मुझे
दिशा दो तुम दिशाहीन जीवन को मेरे
ना नज़र बट्टू लिये,ना ही नज़र उतारी कभी मैंने
तुम्हीं फूॅंक देना कोई मंत्र मेरे ऊपर
अपनी सदिच्छा, त्याग,समर्पण से
मोह लेना तुम मेरी आत्मा को
इहलोक, परलोक,हर लोक में ही
सदा-सदा कृतज्ञ रहूॅंगी तुम्हारी।-
दिखेंगे घाव ना तुमको बेहद पोशीदा हैं
ये सच है यार कि हम भी कुछ ग़म-रसीदा हैं-