Prashant Shakun   (प्रशान्त शकुन 'कातिब' ✍️)
2.1k Followers · 90 Following

read more
Joined 23 September 2018


read more
Joined 23 September 2018
25 FEB AT 15:00

हज़ारों लाखों,
शब्दों से भरी किताब...
कितनी ख़ामोशी से,
एक बुकशेल्फ पर चुप-चाप
चौबीसों घंटे पड़ी रहती है।

...

कुछ ऐसे ही
पड़ा हुआ हूं मैं भी...
अपने अंदर,
असंख्य शब्दों के साथ,
एक इंतज़ार लिए,
अपनी ज़िंदगी के
बुकशेल्फ पर

अनपढ़ा सा...!

-


7 FEB AT 20:40

परिपक्व सोच

-


1 FEB AT 20:17

बसंत का
आगमन हुआ है,
धरा पर।

मन में
अभी भी,
पतझड़ है।

-


10 JAN AT 17:15

दया
करुणा
और ममता
का माँ के पास
ही तो एक भंडार है
तभी तो माँ की ममता
का अनुभव पाने को ईश्वर
लेता खुद भी मानव अवतार है।
पाल वो लेती है उस ईश्वर को भी बड़ी
आसानी से, पालता खुद जो पूरा संसार है।

-


2 JAN AT 22:30

हारे हुये को और हराकर क्या करोगे

-


2 JAN AT 11:19

इंतज़ार में थे,
नया साल आयेगा!
नया साल आ गया,
पुराने सभी दर्द लेकर।

-


27 DEC 2024 AT 21:55

दूर है जैसे अम्बर वो मुझसे
दूर हैं बेख़बर हैं वो मुझसे

-


24 DEC 2024 AT 23:11

ये सब लोग यहाँ YQ पर पागल हो रहे हैं
ऐ पर्वर्दिगार घर इन सबके खबर कर दे।

-


11 DEC 2024 AT 5:41

होंठ तेरे पंखुड़ियों जैसे
इनसे मुझ को चूमा करना…

-


18 NOV 2024 AT 19:42

मधुर, मधुर मुस्कान से उसकी, मेरी मति मारी गई
धनराशि थी जो अकाउंट में सारी की सारी गई😒

-


Fetching Prashant Shakun Quotes