मेरी विरासत, कुछ पुराने अहसास .
मेरी वसीयत, ये चंद अल्फ़ाज़ .
मेरा वारिस, ये पैग़ाम ए मोहब्बत .
मेरा वजूद , यादों में तुम्हारी ज़िंदा .
मेरी अहसियत, ये तुम्हारी वाह वाही .
कैसे कह दू कि, यतीम हूं मैं .
फ़कीर ही सही, पर सबसे अमीर हूं मैं .-
मुझे अपने जायदाद का वारिस मत बनाना
मेरे पास अपने ही पाप बहुत हैं।-
।।वारिस।।
प्रकाश तुझे बनाकर खुद को
रोशन करना है जग सारा।
कई उम्मीदें तुझसे है
तुझको बनना है सबका सहारा।
चुनौतियों का करके सामना
तुझको खुद को है परखना।
खुद को कर बुलंद अब बंदे
तुझे वक्त बदलना।
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✍️"कलह, बिछोह, बुढ़ापा, गोद, वारिस, महत्व "
🍎...🍇...🍊
दिन देखे दिल रोक रोक पर आज भी गद्दी सूनी थी।
चाहत थी वारिस की उन्हें पर गोद बरस से सूनी थी।
हुए झगड़े तो रहे अलग पर बातें मध्य न रूकी कभी।
वे रोते हैं जब वृद्ध हुए वंश आकर उन पे रूकी अभी।
🥝...🍊...🍇
समय बीती तो गोद लिया एक चेहरा चमकता दिखा उन्हें।
वक्त के मारे, थके बेचारे, यह "वक्त" गया कुछ सीखा उन्हें।
आखिर वारिस से वंश की जिंदगी बचाने का तरीका दिखा।
बीते अरसों वह बड़ा हुआ तो बुढ़ापा सहारे पे टिका दिखा।
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✍🏻घर के हालात घर वालो से पूछते हैं,
कौन वारिस है इस छाँव का आख़िर,
हर आने जाने वाले ऐसा एक पिता से पूछते हैं।-
इश्क़ बिक रहा है इश्तहारों सा...।
अब खुदा वारिस ना रहा गुलाबों का...।।
📝AFसर©️
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इश्क क्या किया हमने
दर्द के वारिस बन बैठे।
गुलाब जो उनको दिया
कांटो के सरताज बन बैठे।
सुना हमने के वो वसीयत
करने वाले है,
लगता है उस वसीयत से
बेदखल ही हो गये हम।
इश्क क्या किया हमने
दर्द के वारिस बन बैठे।
शमा रोशन की हमने
उजाला कोई और ले गये।-