दिल के दरवाजे खोल कर,
अब कौन अंदर आता है
शाम होने पर वो, अक्सर खामोश हो जाता है
वादा कौन निभाता है...
बादल के आ जाने पर वो, थोड़ा मुस्कुरा जाता है
पर ये बादल भी बिना बरसे चला जाता है
वादा कौन निभाता है...
उम्मीद का दामन थाम के, वो साथ बैठ जाता है
पर वो तो ज़ालिम है, अकेला चला जाता है
वादा कौन निभाता है...
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