मैं एक आम सा लड़का
(full in caption)-
कुछ लड़कियों को मिलता है
कई बीघा खेत
लहलहाने के लिए
और कुछ लड़कियाँ
बोनसाई बना दी जाती हैं
किसी को मिलती है परों की उड़ान
कुछ को मिलती हैं कतरनें
.
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कौन कहता है?
अंतर हमेशा लड़के लड़की के बीच होता है..-
मेरे बारे में क्या जानना है,
और तुम्हें क्या बताऊँ,
कह तो दिया कि,आम सा लड़का हूं,
अब क्या कोई झूठी कहानी बनाऊं,
ये जो हो जाते हो हर बात पे नाराज़ तुम,
ये तो बताओं कि और कितनी बार मनाऊ,
कुछ राज मेरे अपने है,
अब हर राज की वज़ह बताऊं,
पसंद हो तुम किस कारण से,
ये भी अब तम्हें लिख के बताऊं,
हर चीज़ में मेरी बुराई ढूंढते हो,
अब तुम ही बताओं क्या इतना बुरा हूं,
प्यार है तुमसे इसलिये चुप हूं,
कहो तो अपनी बुराई दिखाऊं ।-
थोड़ा बेबाक सा है
पर काफी सच्चा है वो
जाने कैसा लड़का है
एक दम सच्चा है वो
बेचैन रातों में सारे दर्द समेटता,
और सुबह को फिर से मुस्कुराता है वो
तकलीफें अक्सर ही खामोश कर जाती है उसे
खामोशी में भी बहुत कुछ कह जाता है वो
ये मुश्किलें हर किसी को आज़माती है
सबके लिए मुश्किलों से अकेले ही लड़ जाता है वो
दिल के दर्द को परखने नहीं देता
सबको हर पल खुश जो देखना चाहता है वो
अंजान हैं अपने भी दर्द से उसके
मुस्कुराकर कुछ ऐसे सब छिपाता है वो
जिम्मेदारियों ने बड़ा बना दिया उसे
पर दिल से तो आज भी मासूम सा बच्चा है वो
काफी कुछ लिख दिया, काफी कुछ बाकी है
अब कैसे बताऊँ कितना अच्छा है वो
थोड़ा बेबाक सा है
पर काफी सच्चा है वो
जाने कैसा लड़का है
एक दम सच्चा है वो-
कोख में मरते लड़कियां तो बहुत देखी हैं,
अब पड़ोस की लड़की को बचाने की खातिर,
कोख में लड़कों को मारना पड़ेगा.....!-
लड़का -"तुम्हें नींद में चलने की बीमारी कब से है ?"
लड़की (आश्चर्य से) - "मैं नहीं चलती कभी नींद में।"
लड़का (मुस्कुराते हुए)- "फिर हर रात कैसे आ जाती हो मेरे सपनों में ?"
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हिन्दू का लड़का 'इश्क़' कर बैठा
मुस्लमान की लड़की 'प्यार' कर बैठी
धर्म के ठेकेदारों की 'दुकान' चलेगी अब
- साकेत गर्ग
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बिना इज़हार किए ही 'अभि' मैं उस दिलकश,
नूर सी हमनशीं से बेइंतहा वाला प्यार करता हूँ।1।
मैं थोड़ा 'अनकहा' सा ज़रा 'अनसुना' लड़का हूँ,
जो उसे बिन कहे बिन बताएँ प्यार करता हूँ।2।
ज़ुबान से तो कभी मैंने कुछ भी नही कहा 'अभि'
लेकिन लफ़्ज़ों से उसे अक्सर इज़हार करता हूँ।3।
मैं एक सादा सा लड़का हूँ जो सादगी की हद
तक उस जानशीं से बेइंतहा ऐतबार करता हूँ।4।
चाहें वो दिखें या न दिखें मैं आँखें बंद कर के
और खोलकर निगाहें उसका दीदार करता हूँ।5।
दिल में रखकर के तस्वीर उसकी चारों पहर
बस एक उस हमनवां का ही दीदार करता हूँ6।
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