तुमने मुझे मना ही लिया..
जा रहे थे जब हम सब से दूर तुमसे दूर
तब लोगो की बातों को अनसुना कर तुमने
मुझे हाथ थाम गले से लगा कर मना ही लिया
-
इश़्क की जब इक खुली किताब था मैं
लेकिन सबको पढ़ता बे - हिसाब था मैं
जो भी आता बस मिरा होकर रह जाता
लेकिन बातों का उस वक़्त नवाब था मैं
जिसने भी धोखा दिया वो ख़ुद पछताया
लेकिन झूठों के लिए अना का सैलाब था मैं
इश़्क के जितने भी ख़्वाब कोई देख सकता
लेकिन उन सबका बस इक ही जवाब था मैं
कोई नहीं मोहब्बत से मुझसे मिलता "आरिफ़"
लेकिन मानता उसको भी सिर्फ़ जनाब था मैं
इश़्क जब भी लिखा "कोरे काग़ज़" भर डाले
लेकिन अपनी कलम का ख़ुद इक ख़्वाब था मैं-
अब कोई नई शुरूआत नही करनी मुझे ,
इस विषय पर अब बात नही करनी मुझे।-
खुद को बहुत हिम्मत देने की पूरी कोशिश करती हूं पापा, फिर भी मैं weak पड़ जाती हूं, आप ही तो मेरी हिम्मत और ताकत थे, क्यों मुझे अकेला छोड़ गए पापा
Lots of miss you papa 😔😔😢😢-
उम्र भर की तनहाईयां क़ुबूल नाज़ शैफी को
लेकिन अब ये किसी ज़मीन वाले से मुहब्बत नहीं करेगी-
क्या फ़ायदा तुम्हारा ज़माने भर की,
डिग्रीयां रखने का,
जब किसी की छलकती आँखें ना पढ़ सके,
तो तुम अनपढ़ हो।।-
उसके हाथ की गिरफ्त ढीली पड़ी
तो महसूस हुआ मुझे...
शायद ये वही जगह है,
जहाँ रास्ते बदलने है।।।-
Lekin bas waqt tham sa gaya...
Saase sahem si gayi...
Mann daar sa gaya...
Mahez ek tere kisi...
aur ke sang muskurane se...-
मंज़िलें तेरे अलावा भी कई है लेकिन
ज़िन्दगी और किसी राह पे चलती ही नहीं-