मेरी बातों को सुनकर मुस्कुराना याद आएगा
हमारे बाद तुमको ये ज़माना याद आयेगा
कभी दिन याद आयेंगे सुहाने अपने बचपन के
हमें शाखों दरख्तों पर ठिकाना याद आएगा
मुँह अपना मोड़ लेना तुम मोहब्बत की कहानी से
तुम्हे जब इश्क़ मेरा जान-ए-जाना याद आएगा
तुम्हें जब याद आएगी हमारे साथ की होली
तेरे गालों को रंगों से सजाना याद आएगा
कभी जो ढूँढ़ लोगी तुम कुछ लम्हें रिफ़ाक़त के
रिफ़ाक़त के समय यादें भुलाना याद आएगा
पड़े हैं जागे जागे से अभी चेतन अवस्था मे
मगर फिर भी कोई किस्सा पुराना याद आएगा
सफर-ए-जिन्दगानी में वो इक़ दिन ऐसा आएगा
मेरी गज़लों को पढ़कर गुनगुनाना याद आएगा
मुक्कदर की कहानी का सबब मालूम है हमको
मगर फिर भी वो दिल दुखाना याद आएगा
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