उसे अपनी बीवी पर बहुत शान था
क्योंकि उसकी बीवी अपने साथ
एक बाइक, कुछ पैसे और
घर को भरने के लिए बहुत सारा सामान
लेकर आई थी।-
लालच से रहिएगा दूर, वरना कर देगा मगरुर।
पैसे और सफलता के लिए हो जायेंगे मज़बूर।
कभी भी उतरता नहीं है इस लालच का शुरूर।
इसके लिए सब बन जाते बिन मेहनत मज़दूर।
लालच के कारण कई घर हो जाते हैं "चूर-चूर"।
इसकी वज़ह से अपनापन हो जाता हैं काफूर।
लालची लोग अक़्सर हो जाते हैं अपनों से दूर।
लालची इंसान अक़्सर कहे "चश्म-ए-बद्दूर"।
अपनी मेहनत की कमाई से ख़ुश हो जाओ।
किसी और के धन पर कभी नज़र न लगाओ।
कौन क्या करता है कितना कमाता है छोड़दो।
तुम अपने मेहनत से बस आगे बढ़ते जाओ।
औरत की प्रार्थना से बढ़कर कुछ नहीं "अभि"।
उसके लिए सबसे बड़ा होता हैं उसका सिंदूर।-
लूट खसोट के रख लिये, दूसरे का माल दबाए,
जिस से उजड़े घर किसी का, ऐसा पैसा, पच न पाए।।
(लालच का अंत नहीं, लेकिन,
लालची का है...)
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हांँ मैं लालची हूंँ...इसलिए रोज़ मैं बिकता हूंँ...
परिवार की जरूरतें पूरी हो इसलिए,
ठंड,बारिश,तपती धूप में भी टिकता हूँ...
हांँ मैं लालची हूंँ...इसलिए रोज़ मैं बिकता हूंँ...
हांँ मैं लालची हूंँ...इसलिए रोज़ मैं लिखता हूंँ...
हर दिन,हर पल,प्रति-पल कुछ अजीब,कुछ नया सोचता हूंँ...
आपके प्यार और प्रोत्साहन के लिए ही रोज़ मैं लिखता हूंँ...
हांँ मैं लालची हूंँ...इसलिए रोज़ मैं लिखता हूंँ...
₹।ज जायसवाल
Khandwa-98273 34568
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इंसान होते है लालची बडे़
इसलिए रहती है उन्हे
शिकायत बडी़
कभी खुद से कभी दूसरो से
तो कभी किस्मत तो कभी रब से
अपनी गलतियों को
नही स्वीकारता है कभी
इसलिए
खुश रह नही पाता है कभी-
भाई छोटा है या बड़ा
यह कोई अहम मुद्दा नहीं।
सोचना बस यह चाहिए
कि वह कपटी, लालची
और अवसरवादी तो नहीं?
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👇😂😂😂...लालची...😜😜😜👇
हक़ीकत की दुनिया में अपनी जेब अक्सर खाली बताते हैं,
ख्वाबों की दुनिया में मगर पड़ोसियों के रसगुल्ले खुब उड़ाते हैं!!
औरों को कुछ देना नहीं है बस औपचारिकता ये निभाते हैं,
दूसरों के हिस्से पर भी अपनी लारपूर्ण जीभ लपलपाते हैं!!
Cola-pepsi की तो आखिरी बूंद तक सड़क ये जाते हैं,
फिर औरों के भी बोतलों पर अपनी रसमयी आंखे बिछाते हैं!!
हैं बड़े दिलदार ये, अपने भोगी तंत्र को अपना मित्र बनाते हैं,
पता है इसके लिए वो तो किसी गैर के सामने भी नहीं लजाते हैं!!
अपने सम्मान को छोड़ अक्सर अपमान को गले लगाते हैं,
दुनिया में यही महारथी अक्सर कंजूस मगर लालची कहलाते हैं!!-
हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ?
रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ?
जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते,
हमारा यार है हम में, हमन को इंतजारी क्या ?
न पल बिछुड़े पिया हमसे न हम बिछड़े पियारे से,
उन्हीं से नेह लागी है, हमन को बेकरारी क्या ?
- कबीरदास जी
जीने का शेष लालच अनुशीर्षक में...-
कुछ लालची लोगों की वजह से ही .....
आज तक गरीब कही ना कही पीछे रह गए......-