ज़िंदगी के रंग हजार....
❣️महकती फूल सी, कभी चुभती, शूल सी जिंदगी,
उदासी भरे बेरंग सी, कभी रंगो भरी, पिचकारी होली की,
आसूंओं की झड़ी, तो कभी दिवाली की, लड़ी सी ज़िंदगी,
भीड़ में भी अकेली सी, कभी सुनसान राहों पे, सहेली सी जिंदगी,
कड़वाहट लिए रिश्तों की,
तो मिठास ढूंढती कहीं, फरिश्तों सी जिंदगी,
अपनों में कर दे अजनबी हमें,
कभी अजनबियों में, पनपती उम्मीद जिंदगी,
न निभाने की चाह, न जीने की इच्छा,
कभी थामे हाथ आशा का, ढूंढे कोई मित्र सच्चा,
धूप सी तपती कभी सुर्ख,
स्याह अंधेरों सी छुपाती, मन में जैसे, कोई मर्ज,
हर रंग में रंगीन है ज़िंदगी,
कभी संगीन, तो कभी, मोम है जिंदगी,
जी ज़िंदगी जी भर के, खुद को ज़रा संभाल,
ओढ़ श्वेत, ता उम्र खुद में, ताकि,
समा सके तुझमें, ज़िंदगी के रंग हज़ार..❣️
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