जब तू मेरी गोद में होता है
तो ऐसा लगता है
कि अब मुझे और कुछ नहीं चाहिए ......
मेरा छोटा सा लड्डू😙😙😙-
लड्डू गोपाल का बाल रूप मनोहारी
धरे शीष जब मोर मुकुट मैय्या जाए बलिहारी।
सुंदर सरल रूप लिए कान्हा हुए जब अवतारित।
तारणहार बन जग का करने कल्याण लिया जन्म,
देवकी और यशोदा मैय्या के लाल के रूप में बन मोहन मुरारी।-
मैं कभी अपना जूठा खाना या पानी का भोग कभी शिव जी , गणेश जी या हनुमान जी को नहीं खिला पाऊंगी मेरे दिल दिमाग़ ग़लती से भी ऐसा नहीं करने देंगे लेकिन मैं अपने कन्हैया को अपना जूठा खाना झूठा पानी सब कुछ खिला पिलाती हूं ये प्रेम नहीं तो क्या है प्रेम में जूठा खाना प्यार का टुकड़ा हो जाता है और वहीं भक्ति में जूठा खाना विलास हो जाता है।
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नन्हें कान्हा प्यारे प्यारे,
गोकुल के वो राजदुलारे,
यशोदा मां के आंख के तारे,
झूम उठे आज वृंदावन - मथुरा,
नाच रहे सब खुशी के मारे,
गोपियां भी उल्लास में डूबी,
धन्य हुए आज भाग्य हमारे,
गीत सब गाओ ,उत्सव मनाओ
लड्डू गोपाल अपने घर हैं पधारे।-
बाल गोपाल भी लड्डू गोपाल भी
बड़े प्यारे से लगते हो इस साल भी
लेकर खुशियों का पिटारा तुम आना
जैसे आए इस साल आना अगले साल भी...-
ज़िंदगी आपकी उम्मीदों पर तब ही खड़ा उतरती है जब आपका रास्ता कृष्ण हो।
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भोली सी सूरत है उसकी,
निगेहबानी वो जग की करता है....
वो यशोदा का लाल,
वही बैठे बैठे ही कमाल करता है....-
मेरा नटखट लड्डू गोपाल
लाड़ लड़ाऊ तुझे सजाऊँ
करू तेरा साज - श्रृंगार
बनकर जोघन गीत मै गाऊँ
बजाऊँ खुशियों के सितार
रोज सवेरे तुझे उठाऊँ
देखू तुझे बारम्बार
रजाई में ढककर तुझे नहलाऊँ
कहीं हो ना जाए तुझे बुखार
सुबह सवेरे भोग लगाऊँ
प्यार से फिर तुझे खिलाऊँ
जब तक ना आए तुझे डकार
धीरे धीरे झूला झुलाऊँ
दिल में आजाए मेरे बहार
पूरा दिन लाड़ लड़ाऊँ
इतना ज्यादा आता है प्यार
रात को तुझे सुलाऊँ
फिर करू सुबह का इंतजार
बनकर जोघन गीत मै गाऊँ
बजाऊँ खुशियों के सितार॥
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भटकता रहा मंजिलों की तलाश में ओ मेरे कान्हा,
जबसे मंजिल बने हो तुम, रास्ते आसान हो गए।।
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बस देखने का है तो नज़रिया है।
किसी के लिए श्याम काला है
तो किसी के लिए श्याम साँवरिया है।-